भोपाल। ‘ब्यूरोक्रेसी पर मेरा पूरा नियंत्रण है। काम करने की मेरी स्टाइल अलग है। अफसरों से टीम भावना व मित्रवत काम लेता हूं, जहां गड़बड़ होती है तो सख्ती भी करता हूं। दिल्ली की राजनीति में मेरी बिल्कुल रुचि नहीं, मप्र में ही रच-बस गया हूं। 10 साल के कार्यकाल में पेटलावद और रतनगढ़ हादसे ने मुझे बहुत विचलित किया।’

ये बातें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहीं। अवसर था मुख्यमंत्री के रूप में 10 साल का कार्यकाल पूरा होने पर सेंट्रल प्रेस क्लब की ओर से शनिवार को आयोजित पत्रकारवार्ता का।उन्होंने पहली बार सवालों पर खुलकर चर्चा की, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार और निगम मंडल में ताजपोशी के सवाल टाल गए। चौहान साफगोई के साथ बोले कि केंद्र की राजनीति में जाने का कोई इरादा नहीं। जब पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने को कहा गया था, तब भी अनिच्छा जताई थी। मजाकिया लहजे में बोले ‘दूध देती गाय को डोंगर नहीं भेजते।” नौकरशाहों पर नियंत्रण के बारे में कहा कि मैंने जो भी तय किया उसे हर हालत में पूरा कराया, लाड़ली लक्ष्मी और कन्यादान योजना इसके उदाहरण हैं। उन्होंने पेटलावाद और रतनगढ़ हादसों को अंदर तक हिलाने वाला बताया।

व्यापमं के मुद्दे पर वह बोले कि मेरे भरोसे को ठेस लगी। एक करोड़ 6 लाख बच्चे परीक्षाओं में बैठे, 3.55 लाख भर्ती हुए। 1600 मामलों में गड़बड़ी मिली जो 0.01 फीसद है, इससे ज्यादा तो दूसरी जगह गड़बड़ी हो सकती है, पर मैंने तुरंत जांच बिठाई। उन्होंने कहा कि अभी शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी काम करना बाकी है। खेती किसानी के पैटर्न में बदलाव और सबको मकान देने पर मंथन चल रहा है। इस दौरान उन्होंने सहिष्णुता, भ्रष्टाचार, कानून व्यवस्था, शराबबंदी, महंगाई, पीडीएस, कृषि, निवेश और मंत्रियों में अनुशासन जैसे मुद्दों पर भी खुलकर चर्चा की।