भोपाल। प्रदेश में सूखे से बिगड़ी आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए एक ओर राज्य सरकार ने बजट में कटौती करते हुए विकास कार्यों पर ब्रेक लगा दिया है, खजाने को भरने के लिए टैक्स बढ़ाने की भी तैयारी है, वहीं दूसरी तरफ कैबिनेट को तर करने की कवायद चल रही है। इससे मुख्यमंत्री, मंत्री और राज्यमंत्री के वेतन में डेढ़ गुना इजाफा होगा।

उनके वेतन में महंगाई भत्ते को ऐसे जोड़ेंगे कि जब-जब महंगाई भत्ता बढ़ेगा तब-तब माननीयों का वेतन खुद बढ़ेगा। इस मामले में सामान्य प्रशासन विभाग ने मप्र मंत्री (वेतन और भत्ता) संशोधन विधेयक 2015 का प्रस्ताव मुख्य सचिव अंटोनी डिसा को भेज दिया है। इसे जल्द ही कैबिनेट में लाने की संभावना है।

वित्त विभाग के मुताबिक मुख्यमंत्री-मंत्रियों के वेतन भत्ते बढ़ने से सरकार के खजाने पर हर वर्ष 1 करोड़ 25 लाख स्र्पए का अतिरिक्त भार आएगा। यदि प्रस्ताव मंजूर हुआ तो मुख्यमंत्री के 41, 650, मंत्री के 30,940 और राज्यमंत्री के वेतन में 24990 स्र्पए का इजाफा हो जाएगा।

जबकि दो साल पहले ही मुख्यमंत्री का सत्कार भत्ता 18 से 50, मंत्री का 18 से 30 और राज्यमंत्री का 18 से 25 हजार स्र्पए बढ़ाया गया था। इसके साथ इन सभी का निर्वाचन भत्ता 17 से 27 हजार किया गया था। इतना ही नहीं दौरे पर जाने के लिए राज्य में 750 से 900 राज्य के बाहर 900 से 1200 स्र्पए दैनिक भत्ता बढ़ाया गया था।

अब एक बार फिर नए सिरे से वेतन में बढ़ोतरी के साथ महंगाई भत्ते को जोड़ने का प्रस्ताव है। इधर विधानसभा की कमेटी ने भी सरकार को प्रस्ताव भेजकर विधायकों का वेतन डीए से जोड़ने की बात कही है। यदि ऐसा होता है तो वर्तमान डीए 119 प्रतिशत के वेतन में जुड़ जाने के बाद विधायकों को वेतन 77 हजार की जगह 1 लाख स्र्पए मिलेगा। इससे भी खजाने पर प्रतिवर्ष लगभग 9 करोड़ 10 लाख स्र्पए का अतिरिक्त भार आएगा