भोपाल। अमित देशमुख। किसान क्रेडिट कार्ड के चक्कर में प्रदेश के 51 लाख से ज्यादा किसान न सिर्फ कर्जदार बन गए, बल्कि डिफॉल्टर की सूची में आ रहे हैं। ये खुलासा हुआ वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में। रिपोर्ट बताती है कि मध्यप्रदेश के 51 लाख 76 हजार 678 किसानों पर किसान क्रेडिट कार्ड का 77 हजार 976 करोड़ रुपए बकाया है यानी हर किसान औसतन डेढ़ लाख रुपए। यह राशि पिछले तीन सालों की है।ki

यह जानकारी वित्त मंत्रालय ने संसद में पूछे गए सवाल से जवाब में बताई थी। सहकारी बैंकों के तीन हजार करोड़ फंसे पिछले तीन सालों में सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों ने 9 लाख 31 हजार 977 किसानों को क्रेडिट कार्ट बांटे, जिनसे 3 हजार 771 करोड़ रुपए की वसूली करना है।

इधर मध्यप्रदेश में किसान क्रेडिट कार्ड के लिए लीड बैंकों में शुमार सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने इस दौरान दो लाख 20 हजार 886 किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए, जिससे किसानों पर 30 हजार 652 करोड़ रुपए बकाया है। टारगेट के चलते बनी स्थिति नाम न छापने के शर्त पर कई बैंक अधिकारियों ने स्वीकार किया कि इतनी बड़ी संख्या में किसानों के कर्जदार और अब डिफॉल्टर की सूची में आने के पीछे प्रमुख वजहों में फसल खराब होना तो है ही, बड़ी वजह बैंकों को दिया गया टारगेट है, जिस पर राज्य सरकार सहित केंद्र और आरबीआई का भी प्रेशर रहता है।

इसके चलते यह जानते हुए भी कि किसान लोन नहीं चुका पाएगा उसे क्रेडिट कार्ड थमा दिया जाता है। एक्सपर्ट व्यू पिछले दस सालों में प्रदेश में सूखे के चलते किसान काफी प्रभावित रहे है जिसके चलते वे लोन भरने की स्थिति में नहीं है।

मुरैना, अशोकनगर, गुना, डबरा, ग्वालियर, भिंड में बड़े पैमाने पर फसल खराब हो गई। लेकिन यह भी सच है कि लोन या किसान क्रेडिट कार्ड बांटने का दबाव भी इस स्थिति के लिए जिम्मेदार है।