नक्सली जन अदालत में बुजुर्ग आदिवासी दंपति की डंडे -जूते से पिटाई
कांकेर। जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर खड़का गांव के खासपारा में नक्सलियों ने दरिंदगी का ऐसा मंजर पेश किया कि ग्रामीणों की रूह कांप गई। नक्सलियों ने गांव के चौराहे पर जन अदालत लगाकर बेकसूर बुजुर्ग आदिवासी दंपति की डंडे और जूतों से बेदम पिटाई की। पीड़ित बुजुर्ग रहम की गुहार लगाते रहे लेकिन नक्सलियों का दिल नहीं पसीजा।
बुजुर्ग दंपति का कसूर बस इतना था कि उन्होंने अपने बेटे को पढ़ने के लिए गांव से बाहर भेजा। बेटे ने पढ़ाई की लेकिन उसे नौकरी नहीं मिली तो वह कुछ दिनों के लिए एसपीओ बन गया। हालांकि बाद में उसे बर्खास्त भी कर दिया गया। लेकिन नक्सली इससे संतुष्ट नहीं थे। उनका आरोप था कि बुजुर्ग दंपति ने अपने बेटे को मुखबिर बनाया है। सारी रात बुजुर्ग दंपति दर्द से कराहते रहे। सुबह होते ही उन्होंने गांव छोड़ दिया।
भानुप्रतापपुर ब्लॉक के इस गांव में 10 दिसंबर की रात 15-20 हथियारबंद नक्सली पहुंचे थे। उन्होंने ग्रामीणों को गांव के चौराहे पर जन अदालत में पहुंचने का फरमान सुनाया। इसके बाद तीन ग्रामीणों कंगलूराम, दिनेश सलाम व पहाड़ सिंह को बुजुर्ग दंपति को बुला लाने भेजा। रात लगभग 9 बजे तीनों ग्रामीणों ने बुजुर्ग आदिवासी घसियाराम (59) के घर का दरवाजा खटखटाया।
ग्रामीणों ने घसियाराम व उसकी पत्नी सुक्कूबाई (54) को नक्सली फरमान का हवाला देते हुए गांव के चौराहे पर जन अदालत में चलने कहा। चौराहे पर भयभीत ग्रामीणों के अलावा करीब एक दर्जन हथियारबंद नक्सली मौजूद थे। इनमें सोनू, रमेश व महिला नक्सली सगो को घसियाराम पहचानता था, इनके अलावा कई संघम सदस्य भी वहां थे। नक्सलियों ने घसियाराम व उसकी पत्नी पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपने बेटे दुआरूराम सलाम को पढ़ाया-लिखाया व नौकरी के लिए भानुप्रतापपुर भेजा।
नक्सलियों ने उनके बेटे पर पुलिस का मुखबिर होने का आरोप लगाया और गांव वालों के सामने ही लात, जूते और डंडों से उनकी बेदम पिटाई। बूढ़ी सुक्कूबाई कहती रही कि बेटे को बर्खास्त कर दिया गया है लेकिन उनका दिल नहीं पसीजा। वे चीखते और मदद की गुहार लगाते रहे लेकिन मौके पर मौजूद ग्रामीणों में से कोई भी हथियारों से लैस नक्सलियों का विरोध करने का साहस नहीं जुटा पाया।
नक्सली दोनों बुजुर्गों का बेसुध होते तक पीटते रहे। करीब दो घंटे तक दहशत मचाने के बाद नक्सली ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं व पुलिस से दूर रहने की चेतावनी देते हुए चले गए। बेसुध घसियाराम ने भोर होते ही गांव छोड़ दिया और भानुप्रतापपुर आकर थाने में शरण ली।
तीन ग्रामीणों की भूमिका संदिग्ध
खड़का खासपारा में पड़ताल करने पर नईदुनिया ने पाया कि नक्सली बुजुर्ग दंपति को पीटने की योजना बनाकर दोपहर से ही गांव के बाहर जंगल में डेरा डाले हुए थे। गांव के पहाड़ सिंह के घर में नक्सलियों ने रात में खाना खाया। उन्होंने पहाड़ सिंह, कंगलूराम व दिनेश सलाम को जन अदालत में ग्रामीणों को जुटाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। ग्रामीणों ने इन तीनों की भूमिका पर संदेह व्यक्त करते हुए जांच की मांग की है।
दबाव में हैं नक्सली
उस इलाके में हुर्रापिंजोड़ी में नया कैंप स्थापित होने से नक्सली दबाव में हैं। अपनी उपस्थिति दिखाने के लिये बेसहारा आदिवासी बुजुर्ग पर जुल्म ढाया। इस मामले पर धारा 147, 148, 149, 294, 506 बी और आईपीसी की आर्म्स एक्ट 25, 27 के तहत मामला पंजीबद्घ कर लिया गया है। घटना दुखद है, मदद देंगे-
नक्सली दहशत से यदि ग्रामीण पलायन करते हैं तो मदद दी जाएगी। छत्तीसगढ़ शासन ने मदद का प्रावधान पहले से कर रखा है। आवेदन मिला तो पीड़ित बुजुर्ग आदिवासी दंपत्ति के मदद का हरसंभव प्रयास किया जाएगा। –