दिग्विजय सिंह का ट्वीट, नाथूराम गोडसे को ग्वालियर से ही मिली थी पिस्टल
ऐसी है पूरी कहानी
बताया जा रहा है कि डॉ. परचुरे ने अपने एक परिचित के जरिए पिस्टल का सौदा नाथूराम गोडसे को 500 रुपए में पिस्टल उपलब्ध करवाई थी। इसके बाद उसने स्वर्ण रेखा नदी के किनारे दस दिनों तक फायरिंग की प्रैक्टिस भी की, इसके बाद वो महात्मा गांधी को मारने के लिए दिल्ली रवाना हो गया। उस दौरान सिंधिया रियासत में सिंधिया रियासत में बंदूक या पिस्टल खरीदने के लिए किसी लाइसेंस की जरूरत नहीं होती थी, इसलिए गोडसे ने ग्वालियर को ही चुनाव था।
Also the revolver by which Godse killed Mahatma Gandhi was given to him by one Parchure from Gwalior. Need to do some more research about who was Parchure.
सिंधिया रियासत की सेना के ऑफिसर लाए थे ये पिस्टल
विदेशी पिस्टल ग्वालियर कैसे पहुंची इसकी भी एक रोचक कहानी है, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सिंधिया की सेना के कमांडर लेफ्टीनेंट जनरल वीबी जोशी के साथ सैनिकों को अबीसीनिया में तैनात किया गया था। इस दौरान मुसोलिनी की सेना ने इसके सामने सरेंडर किया था, हथियारों में उन्होंने एक 9एमएम की बरेटा पिस्टल भी दी थी। यही पिस्टल सिंधिया की सेना के कमांडर जोशी अपने साथ ग्वालियर ले आए थे। इसके बाद ग्वालियर के ही जगदीश गोयल ने कमांडर जोशी के परिवार से पिस्टल को खरीद लिया था। फिर कुछ समय बाद उसने यह नाथूराम गोडसे को बेच दी थी।