दरअसल, अभी देश के कई राज्यों में पुलिस कानून में बदलाव की जरूरत है। मध्यप्रदेश भी उनमें से एक है। बदलाव के नाम पर कुछ सुविधाजनक चीजें बदलकर सरकार और अफसर खामोश हो जाते हैं, लेकिन जरूरी बदलावों को नजरअंदाज कर दिया जाता है। सवाल तब खड़ा होता है, जब पुलिस के खिलाफ ही शिकायत करने का मामला हो।

अभी तय व्यवस्था के अनुसार पुलिस की शिकायत पुलिस से ही की जाती है। छोटे अफसर की शिकायत बड़े अफसर से कर दीजिए और घूम फिरकर जांच उसी के पास या उसके सहयोगी के पास आ जाती है जो उसमें दोष्ाी है। ऎसे में न केवल जांच प्रभावित होती है, बल्कि कई दफा तो शिकायतकर्ता को ही शिकायत करना भारी पड़ जाता है।