नई दिल्ली। चीन में मंदी पूरी दुनिया के लिए खतरा बन सकती है। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के सर्वे में ये खुलासा हुआ है। दुनिया भर के बाजारों में पैसा लगाने वाले फंड मैनेजर ग्लोबल इकोनॉमी के आउटलुक को लेकर उत्साहित नहीं हैं। 53 फीसदी निवेशकों ने माना कि ग्लोबल इकोनॉमी मजबूत होगी जबकि 61 फीसदी का ऐसा नहीं मानते। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण चीन है।

52 फीसदी फंड मैनेजरों का मानना है कि चीन की मंदी विश्व के बाजारों के लिए खतरा साबित हो सकती है। ग्रीस को राहत पैकेज मिलने से यूरो जोन की गिरावट का डर अब फंड मैनेजरों के मन से खत्म हो गया है। अब सिर्फ 2 फीसदी फंड मैनेजरों को ये लगता है कि यूरोजोन टूटेगा।

चीन के बाजार में बबल

सर्वे में भाग लेने वाले 71 फीसदी लोगों ने माना कि 2018 तक चीन की जीडीपी ग्रोथ 6 फीसदी से नीचे चली जाएगी। वहीं एक तिहाई लोगों का मानना था कि 2018 तक जीडीपी ग्रोथ 5 फीसदी से भी नीचे जा सकती है।

जून की ऊंचाई से अब तक 25 फीसदी गिरावट के बावजूद दो तिहाई निवेशक मानते हैं कि चीन ए का शेयर बाजार बबल की अवस्था में है। इनको लगता है कि कंपनियों की कमाई कम रहेगी साथ ही कमोडिटी की कीमतों का भी दबाव रहेगा। इसके अलावा मजबूत डॉलर और ऊंची बांड यील्ड से उभरते हुए देशों के लिए चुनौती पैदा हो सकती है।

एशिया के निवेशकों को भारत पसंद

चुनौती के बावजूद एशिया के निवेशकों को भारत और ताइवान पसंद है। निवेशक चीन, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया और सिंगापुर को पसंद नहीं कर रहे हैें।

उभरते हुए देशों के शेयर बाजारों के लिए ग्लोबल फंड मैनेजर अब कम पैसे निवेश कर रहे हैं। उभरते देशों में ग्लोबल फंड मैनेजरों का फंड एलोकेशन 2001 के निचले स्तर पर चला गया है। विश्व के 32 फीसदी ग्लोबल फंड मैनेजर अब उभरते हुए देशों को अच्छा नहीं मानते। बैंक ऑफ अमेरिका-मेरिल लिंच फंड मैनेजर के सर्वे में खुलासा हुआ कि अब फंड मैनेजर यूरोप और जापान के बाजारों पर दांव लगाना चाहते हैं। 3 में से 2 निवेशकों को लगता है कि चीन की मंदी या उभरते हुए देशों का कर्ज विश्व के लिए संकट पैदा कर सकते हैं।

तीसरी तिमाही में फेड बढ़ाएगा ब्याज दरें

48 फीसदी निवेशकों को लगता है कि अमेरिकी फेड तीसरी तिमाही में ब्याज दरें बढ़ाएगा। 39 फीसदी निवेशकों के मुताबिक फेड चौथी तिमाही में ब्याज दरें बढ़ा सकता है। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ग्लोबल रिसर्च के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट माइकल हर्टनेट के मुताबिक निवेशक चीन और उभरते हुए देशों में कम ग्रोथ का साफ संदेश दे रहे हैं। 574 अरब डॉलर की एसेट मैनेज करने वाले कुल 202 पैनालिस्ट ने इस सर्वे में भाग लिया था।

चीन ने बैंकों को दिए 6.4 लाख करोड़

शंघाई। चीन ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार से 2 बैंकों में करीब 6.4 लाख करोड़ रुपए डाले हैं। ये दोनों बैंक सरकार के दिशा निर्देश पर कर्ज देते हैं। चीनी मीडिया के मुताबिक इससे देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी। चीन के सेंट्रल बैंक ने चाइना डेवलपमेंट बैंक में 48 अरब डॉलर और एक्सपोर्ट इंपोर्ट बैंक ऑफ चाइना में 45 अरब डॉलर डाले हैं। सरकारी एजेंसी के मुताबिक ये कदम बैंकों का कैपिटल बेस बढ़ाने और इकोनॉमी को सहयोग देने के लिए किया गया है। चीन के इकोनॉमिस्ट के मुताबिक बैंकों में पैसा डालना ये संकेत देता है कि सेंट्रल बैंक चाहता है कि पैसा एक्सपोर्ट, इंफ्रास्ट्रक्चर कंस्ट्रक्शन जैसी अर्थव्यवस्था से सीधे जुड़ी चीजों में जाए।

चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। पिछले साल इसकी ग्रोथ 1990 के बाद सबसे कम 7.4 फीसदी थी। जो इस साल की पहली दो तिमाही में 7 फीसदी हो गई। चीन की सरकार ने 2015 के लिए 7 फीसदी ग्रोथ का लक्ष्य रखा है। अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए चीन पिछले साल नवंबर से अब तक 4 बार ब्याज दरें घटा चुका है।

एक एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक चाइना डेवलपमेंट बैंक और एग्रीकल्चर डेवलपमेंट बैंक ऑफ चाइना की प्रोजेक्ट के कंस्ट्रक्शन के लिए 1 लाख करोड़ युआन के बांड जारी करने की योजना है।