अलीगढ़ : लोधा के सतीश अग्रवाल स्वतंत्रता दिवस पर जब अपनी दुकान पर चाय में उबाल ला रहे थे, तब उनका बेटा संजय कानपुर के ग्रीनपार्क स्टेडियम में हजारों धावकों को पछाड़ते हुए गोल्ड की ओर बढ़ रहा था। पांच हजार मीटर की इस क्रॉस कंट्री रेस में गोल्ड मेडल जीतने वाले संजय अपने पिता को खबर भी नहीं दे पाए, क्योंकि उनके पास मोबाइल तक नहीं था।

राजपूत रेजिमेंट सेंटर फतेहगढ़ में तैनात संजय अग्रवाल 12वीं का फार्म भरने के लिए पांच दिन की छुटटी लेकर घर रवाना हुए। रास्ते में पता चला कि फर्रुखाबाद व कानपुर में क्रॉस कंट्री रेस हो रही हैं तो उन्होंने शुक्रवार को फर्रुखाबाद पहुंचकर गोल्ड मेडल जीता। उसके बाद शनिवार को कानपुर के ग्रीनपार्क स्टेडियम में पांच हजार मीटर की रेस 15.03 मिनट में पूरी कर रिकार्ड बनाया। पहले यह रिकार्ड 15.34 मिनट था। संजय 16 साल की उम्र में ही सेना में भर्ती हो गए। बचपन से ही दौड़ के शौकीन संजय ने 2014 में रांची में हुई राष्ट्रीय जूनियर क्रॉस कंट्री रेस में पहला स्थान हासिल किया। इस रेस के प्रथम, द्वितीय व तृतीय विजेता को सेना अपने खर्च पर ले जाती है। संजय पर सेना हर माह 10 हजार रुपये खर्च कर रही है। 18 साल का होने पर संजय को ट्रेनिंग देगी।

नंगे पैरों से हासिल की मंजिल

संजय के पिता सतीश अग्रवाल लोधा में चाय की दुकान करते हैं। बड़ा भाई राजेश अग्रवाल उनके साथ हाथ बंटाता है। जीविका चलाने के लिए दुकान ही सहारा है। संजय ने पांचवीं तक की पढ़ाई प्राथमिक स्कूल हासिल की। उसके बाद सरस्वती शिशु मंदिर से हाईस्कूल किया। पहली कामयाबी उन्हें तब मिली, जब नंगे पैर ही स्टेट क्रॉस कंट्री रेस में गोल्ड मेडल जीता।

मैडम बनीं सहारा

लखनऊ में आयोजित स्टेट क्रॉस कंट्री रेस में संजय को दौड़ता देख कोच शिवांगी ने बड़ा सहारा दिया। बकौल संजय, मैडम ने अपने पास कोचिंग के लिए रखा। खाना-पैसा उन्होंने ही दिया। इसके बाद से वह तीन बार नेशनल क्रॉस कंट्री रेस में भाग ले चुके हैं। एक बार गोल्ड व दो बार सिल्वर मेडल जीते। संजय देहरादून क्रॉस कंट्री रेस व पंजाब में सिख इंफेंट्री रेजिमेंट रेस में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं।