पश्चिमी राजस्थान से आ रही गर्म हवा ने दिल्ली का तापमान बढ़ा दिया है। गुरुवार को राजधानी का इस साल का सबसे अधिक तापमान दर्ज किया गया। मौसम विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, तापमान 44.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। यह पिछले पांच वर्षो में 5 जून का सबसे अधिक तापमान दर्ज किया गया है। दिल्ली का सबसे गर्म स्थान पालम रहा, जहां पर पारा 45.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

राजधानी में सुबह से ही तेज धूप और गर्म हवा के थपेड़ों ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी। लोग घरों से बाहर मुंह पर कपड़ा बांधकर या छतरी लेकर निकले। मौसम विभाग के अनुसार, एक सप्ताह तक गर्मी से राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। 6, 7, 8 और 9 जून को तापमान 45 या उससे अधिक रहने की संभावना है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी दिल्ली के आसपास पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय नहीं है, इसलिए तापमान में राहत मिलने वाली नहीं है।

गुरुवार को राजधानी का अधिकतम तापमान 44.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से 4 डिग्री सेल्सियस अधिक था। वहीं न्यूनतम तापमान 27.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य था। तापमान बढ़ने से आ‌र्द्रता का स्तर भी प्रभावित हुआ है। गुरुवार को आ‌र्द्रता अधिकतम 63 फीसद तथा न्यूनतम 20 फीसद दर्ज की गई। अगले 24 घंटों में अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तथा न्यूनतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस रहने के आसार हैं।

आज मानसून दे सकता है केरल में दस्तक

भारत के दक्षिणी तट पर इस साल का मानसून शुक्रवार तक आ सकता है। हाल के दिनों में हुई छिटपुट बारिश मानसून के आने का संदेशवाहक है। एशिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था भारत के किसानों के लिए मानसून की बारिश अत्यंत महत्वपूर्ण है।

भारतीय मौसम विान विभाग (आइएमडी) के एक अधिकारी ने गुरुवार को कहा, ‘परिस्थितियां अगले 24 घंटे में मानसून के सक्रिय होने के अनुकूल बन गई हैं।’ आम तौर पर मानसून एक जून के करीब आ जाता है लेकिन आइएमडी ने इसके पांच दिन देर से आने और इस साल औसत से कम बारिश होने की भविष्यवाणी की थी। भारतीय अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए मानसून की बारिश का बहुत महत्व है। भारतीय कृषि इसी बारिश पर निर्भर है। देश की आर्थिक विकास दर बहुत धीमी हो गई है और पिछले दो वर्षो से औसत महंगाई दर करीब 10 फीसद है। भारत में कृषि क्षेत्र का योगदान 14 फीसद है।

देश की एक अरब 20 करोड़ आबादी में से दो तिहाई ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। भारत की कृषि भूमि के आधे में अब भी सिंचाई की सुविधा नहीं है। देश में वर्ष 2017 तक सिंचाई सुविधा बढ़ाकर मौसमी बारिश पर निर्भरता वाले कृषि क्षेत्र में कम से कम 10 फीसद कमी लाने की योजना बनाई गई है।

आइएमडी का कहना था कि मानसून पांच जून से चार दिन आगे-पीछे आ सकता है। मानसून पूर्व हुई बारिश से लाभ उठाते हुए किसानों ने चावल, दालें और कपास की खेती का काम भी शुरू कर दिया है। गौरतलब है कि अल नीनो के प्रभाव के कारण इस साल भारत सहित एशिया में भयंकर सूखा पड़ने की आशंका जताई गई है।