राहुल गांधी

राहुल गांधी
कर्नाटक में बहुमत साबित ना कर पाने के बाद भाजपा के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे के लगभग आधे घंटे बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गंधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। जिसमें उन्होंने कहा कि हम सभी मिलकर भाजपा और आरएसएस को हराएंगे। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल ने जेडीएस को भाजपा की बी पार्टी बताते हुए कहा था कि पार्टी के नाम में एस का मतलब संघ है लेकिन अब उनके तेवर बदल गए हैं।

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहली बार राहुल 2019 लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाते हुए सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने की कोशिश करते हुए दिखे। कांग्रेस अध्यक्ष के बयान के बाद सभी पार्टियों ने अपनी प्रतिक्रिया दी। सभी राहुल के सुर में सुर मिलाते हुए भाजपा को घेरते हुए दिखे। कर्नाटक के फॉर्मूले को कांग्रेस इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों और अगले साल के लोकसभा चुनावों में लागू कर सकती है। यदि वह ऐसा करती है तो इससे वह 11 राज्यों की 12 बड़ी क्षेत्रीय पार्टियों के साथ चुनाव से पहले या बाद में गठबंधन करके भाजपा को सरकार बनाने से रोक सकती है।

2019 में भाजपा के खिलाफ इन राज्यों में एकजुट हो सकता है विपक्ष :

यूपी- 80 सीटें
यहां भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस, बसपा और सपा के साथ गठबंधन कर सकती है।

महाराष्ट्र- 48 सीटें
यहां कांग्रेस और एनसीपी मिलकर भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकते हैं। दोनों पहले ही साथ चुनाव लड़ने का संकेत दे चुके हैं। इसमें शिवसेना के शामिल होने की अटकले हैं।

पश्चिम बंगाल- 42 सीटें
ममता बनर्जी लगतार मोदी सरकार पर हमला करती रहती हैं। यहां कांग्रेस और टीएमसी मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं।

बिहार- 40 सीटें
कांग्रेस यहां राजद के साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ सकती है। पहले से ही दोनों का गठबंधन है। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएसएलपी के भी शामिल होने की संभावना है।

तमिलनाडु- 39 सीटें
कांग्रेस और डीएमके ने पिछले साल विधानसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था। दोनों 2019 में भाजपा के खिलाफ एक बार फिर साथ आ सकते हैं।

कर्नाटक- 28 सीटें
विधानसभा की तरह लोकसभा चुनाव में भी जेडीएस और कांग्रेस गठबंधन कर सकते हैं।

आंध्रपद्रेश- 25 सीटें
विशेष राज्य का दर्जा ना मिलने पर भाजपा से नाता तोड़ चुकी टीडीपी कांग्रेस का हाथ थाम सकती है।

तेलंगाना- 17 सीटें
राज्य में टीआरएस भाजपा के खिलाफ तीसरे मोर्चे की वकालत कई मौके पर कर चुकी है। ऐसे में वह कांग्रेस का साथ दे सकती है।

झारखंड- 14 सीटें
कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा साथ आ सकते हैं। कई उपचुनाव साथ मिलकर लड़ चुके हैं।

हरियाणा- 10 सीटें
यहां इंडियन नेशनल लोकदल और कांग्रेस हाथ मिला सकते हैं।

जम्मू-कश्मीर- 6 सीटें
यहां नेशलन कॉन्फ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस भाजपा को टक्कर देने के लिए साथ आ सकते हैं।