केजी बोपैया (फाइल फोटो)
केजी बोपैया 

 

कर्नाटक में नवनिर्वाचित बीएस येदियुरप्पा सरकार को अब शनिवार शाम 4 बजे अपना बहुमत साबित करना है, ऐसे में नवगठित विधानसभा के संचालन हेतु अस्थायी (प्रोटेम) स्पीकर के लिए बीजेपी के विधायक केजी बोपैया को चुना गया है.

राज्यपाल वजुभाई वाला ने अप्रत्याशित तौर पर बोपैया को प्रोटेम स्पीकर के लिए चुना. राज्यपाल ने उन्हें पद की शपथ भी दिला दी. साथ ही राज्यपाल ने शनिवार की सुबह 11 बजे विशेष सत्र बुलाया है. नई सरकार को शाम 4 बजे से पहले बहुमत हासिल करना होगा.

इससे पहले ऐसी खबर थी कि कर्नाटक विधानसभा के सचिव ने विधानसभा के अस्थायी (प्रोटेम) स्पीकर के लिए दो विधायकों के नाम दिए हैं. इनमें एक उमेश कट्टी और दूसरा आरवी देशपांडे का नाम शामिल था. ये नाम संसदीय कार्य विभाग को भेजा गए थे. उमेश कट्टी बीजेपी के विधायक हैं और आरवी देशपांडे कांग्रेस के विधायक हैं. दोनों अपनी-अपनी पार्टियों के वरिष्ठ विधायक हैं.

कोर्ट जा सकती है जेडीएसप्रोटेम स्पीकर को लेकर राज्यपाल के फैसले पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उन्हें बोपैया प्रोटेम स्पीकर के रूप में स्वीकार्य नहीं होंगे. हम इस पर शीध्र कोई एक्शन लेंगे. हमें जानकारी मिली थी कि देशपांडे सबसे वरिष्ठ विधायक हैं. हमारे पास सभी विकल्प खुले हुए हैं.

दूसरी ओर, इस मामले पर जेडीएस सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी में है. हालांकि प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति को लेकर कोई तय नियम नहीं है, लेकिन परंपरा का निर्वाह किया जाना चाहिए थे. कांग्रेस के देशमुख हैं 8 बार के विधायक हैं और उन्हें प्रोटेम स्पीकर चुना जाना चाहिए था.

बीजेपी विधायक रेणुकाचार्य ने कहा कि हम कल विश्वास मत जरुर हासिल करेंगे. हालांकि उन्होंने राज्यपाल की ओर से बोपैया को प्रोटेम स्पीकर चुने जाने पर कुछ नहीं कहा.

कौन हैं बोपैया

बोपैया का पूरा नाम है कोम्बारना गणपति बोपैया और वह चौथी बार विधायक चुने गए हैं. वह पहले भी प्रोटेम स्पीकर रहे हैं. वह 2008 से 2013 के बीच स्पीकर भी रहे हैं.

वह विराजपेट विधानसभा क्षेत्र से लगातार 3 बार चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं. इस बार का चुनाव भी उन्होंने इसी सीट से जीता है.

बोपैया इससे पहले भी विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर रहे हैं. 2009 में वह 4 दिन के लिए प्रोटेम स्पीकर रहे और इस दौरान बीजेपी ने बहुमत हासिल किया था.

उनका संघ परिवार से गहरा नाता रहा है और स्कूली दिनों से इससे जुड़े रहे हैं. वह छात्र संगठन एबीवीपी से भी जुड़े रहे.

विधायकों को शपक्ष दिलाएगा प्रोटेम स्पीकर

प्रोटेम स्पीकर फ्लोर टेस्ट नहीं करा सकता है, प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति नए विधायकों को शपथ दिलाने के लिए की जाती है. फ्लोर टेस्ट चुने गए स्पीकर ही कराते हैं.

‘एंटी डिफेक्शन लॉ’ के तहत शिकायतों की सुनवाई करने में भी स्पीकर की अहम भूमिका होती है. कई मामलों में विधायक अपनी पार्टी के व्हिप के खिलाफ जाकर वोट करते हैं लेकिन स्पीकर को तुरंत फैसला देने की अनिवार्यता नहीं होती है.

कर्नाटक विधानसभा चुनाव की 222 सीटों पर आए नतीजों में बीजेपी को 104 सीटें मिली हैं, जो कि बहुमत से 8 विधायक कम है. कांग्रेस को 78 और जेडीएस को 37, बसपा को 1 और अन्य को 2 सीटें मिली हैं. ऐसे में बीजेपी भले ही सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी हो, लेकिन बहुमत से वो दूर है.

राज्यपाल ने राज्य में सबसे बड़ी एकल पार्टी के रूप में बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता दिया और बीएस येदियुरप्पा ने गुरुवार को तीसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली. राज्यपाल ने नई सरकार को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन की मोहलत दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने घटाकर शनिवार तक कर दिया