इंदौर। एमवाय अस्पताल की लिफ्ट में महिला की मौत की गूंज भोपाल तक पहुंची। इसके बाद आनन-फानन में प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह मंगलवार को एमवायएच के दौरे पर पहुंचे। उन्होंने अस्पताल में पहुंचते ही सबसे पहले लिफ्ट देखी और बोले वाकई इसे बदलने की जरूरत है। उन्होंने तीन महीने में तीन नई लिफ्ट लगाने के आदेश दिए।

प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह एमवायएच का कायाकल्प देखने के बहाने लिफ्ट कांड की हकीकत जानने आए थे। शनिवार को लिफ्ट में मोती तबेला निवासी 30 वर्षीय शाहिदा की मौत हो गई थी। लिफ्ट करीब आधे घंटे तक अटकी थी। प्रभारी मंत्री ने लिफ्ट देखने के बाद पांचवीं मंजिल का दौरा किया।

यहां प्राइवेट वार्ड का कायाकल्प देखा और एमआईसीयू का दौरा किया। मरीजों से पूछा कि डॉक्टर टाइम पर आते हैं या नहीं। दवाइयां मिल रही हैं या नहीं? मरीज ने कोई शिकायत नहीं की। इसके बाद अस्पताल प्रशासन, विधायक और महापौर के साथ बंद कमरे में करीब पौन घंटे तक बैठक की।

प्रशासन बोला- हमारे पास मेंटनेंस के पैसे नहीं

मंत्री ने पूछा कि लिफ्ट कैसे रुक जाती है। इसका मेंटनेंस नहीं कराते क्या आप? तो अस्पताल प्रशासन ने कहा कि हमारे पास मेंटनेंस के पैसे नहीं हैं। मेंटनेंस के नाम पर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल को कुछ नहीं दिया जाता। मंत्री ने वहीं से प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा विनोद सेमवाल को फोन लगाया और मेंटनेंस के लिए राशि मंजूर करने को कहा। प्रमुख सचिव ने अस्पताल को प्रस्ताव भेजने के आदेश दिए और जल्दी पैसा जारी होने का आश्वासन दिया।

इंजीनियर बोला-अब ऐसी लिफ्ट बनाना मुश्किल

उधर बैठक में पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर भी मौजूद थे। अस्पताल की लिफ्ट पीडब्ल्यूडी के जिम्मे है। इंजीनियर बोले-आजकल इस तरह की लिफ्ट नहीं बनती। इसीलिए इसके मेंटनेंस में दिक्कत आती है। नई तरह की मॉडर्न लिफ्ट बनवाना होगी। मंत्री ने उन्हें शॉर्ट टेंडर नोटिस निकालने और तीन महीने में सर्वसुविधायुक्त लिफ्ट तैयार करने को कहा।

सवालों के जवाब दिए बिना ही चले गए

सूत्रों के मुताबिक, पिछले दिनों एमवाय की लिफ्ट में मौत और मरीज पर पंखा गिरने के मामले को सरकार ने इसे काफी गंभीरता से लिया है। प्रभारी मंत्री पर इसका खासा दबाव है। इस कारण ही वे दौरा करने आए थे, लेकिन पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए बिना ही निकल गए।