एचआईवी पॉजिटिव छात्र को स्कूल से निकाला, नानी पर भी ‘प्योरिटी’ टेस्ट का दबाव
एक एचआईवी पॉजिटिव छात्र को स्कूल से निकालने की चौंकाने वाली घटना सामने आई है। कोलकाता के पास साउथ 24 परगना जिले में बिष्णुपुर क्षेत्र स्थित एक निजी स्कूल में पढ़ रहे एक छात्र के साथ यह घटना पांच महीने पहले हुई। लेकिन पश्चिम बंगाल प्रशासन के दखल के बावजूद सात साल के इस बच्चे और परिवार का भविष्य अंधकारमय है।
बच्चे की इस स्थिति को गोपनीय रखने के बावजूद, यह जानकारी अन्य पेरेंट्स को दे दी गई थी और उनमें से सैकड़ों पेरेंट्स ने एक याचिका पर हस्ताक्षर किए जिसमें इस लड़के को स्कूल छोड़ने की मांग की गई।
यह प्रताड़ना यहीं खत्म नहीं हुई। उसी स्कूल में बांग्ला पढ़ाने वाली उस लड़के की नानी को भी एचआईवी टेस्ट कर अपनी ‘प्योरिटी’ साबित करने के लिए मजबूर किया गया।
अधिकारियों का कहना है कि राज्य महिला एवं बाल विकास मंत्री शशि पांजा के जांच और बाल कल्याण समिति को हस्तक्षेप का आदेश देने के बाद स्कूल प्रशासन लड़के को फिर स्कूल में भर्ती का वादा कर चुका है। लेकिन लड़के मां का कहना है कि चीजें इतनी आसान नहीं हैं। वे कहती हैं ‘स्कूल प्रधानाध्यापक ने मुझसे सीधे संपर्क नहीं किया है। लेकिन मैंने सुना है अगर मेरे बेटे की वापसी होती है तो अन्य माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए राजी नहीं हैं।’
एचआईवी पॉजिटिव के बारे में जागरूकता फैलाने वाले एक एनजीओ के साथ काम कर रही इस लड़के की मां के मुताबिक ‘ मुझे बताया गया है कि एक अलग रूम तैयार किया जा सकता है जहां मेरा बेटा दूसरों से अलग बैठेगा। लेकिन मुझे यह स्वीकार नहीं है।’
लडके के पिता को भी उनके मई 2014 में एचआईवी पॉजिटिव होने का पता चला था। उसके बाद लोगों ने पिता के स्टेशनरी की दुकान पर आना बंद कर दिया था। अब वह एक कपड़े की दुकान में हेल्पर का काम कर रहे हैं।
स्कूल के प्रधानाध्यापक संजीब नास्कर का कहना है ‘शुरुआत में ऐसे भी पेरेंट्स थे जो नहीं चाहते थे कि वह स्कूल में पढ़े। लेकिन हमने बच्चे के परिवार को कभी नहीं कहा कि वे उसे स्कूल न भेजें। वह खुद ही स्कूल नहीं आ रहा है। अगर वह आता है तो उसे किसी तरह से परेशान नहीं किया जाएगा।’
महिला और बाल विकास मंत्री शशि पांजा ने कहा ‘स्कूल प्रशासन को बच्चे को फिर एडमिशन देना होगा। बाद में, अगर पेरेंट्स चाहे तो अग ले शैक्षणिक वर्ष से स्कूल बदल सकते हैं और यह उन पर निर्भर करता है। एचआईवी पॉजिटिव परिवार के साथ ऐसा होना बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। लकिन सबसे बड़ी समस्या जागरूकता को लेकर है जिसे स्वीकृति के माध्यम से हल किया जाना है। हमने अन्य पेरेंट्स के साथ स्थानीय बाल कल्याण समिति और जिला प्रशासन के अधिकारियों की एक बैठक बुलाई है।’