नरसिंहपुर। गोटेगांव से लगे ग्राम रामनिवारी-उमरा में जिसे देखो वह रो रहा था। हर तरफ सिसकियों और रूदन से मातमी माहौल था। हरदा ट्रेन हादसे में मृत लोगों के शव बुधवार की रात गांव आने के बाद से ही लोग नहीं सोए थे। गुरुवार को रामनिवारी में दीपचंद रजक और उसकी पत्नी हीराबाई का अंतिम संस्कार करने और शोकाकुल परिवार को सांत्वना देने नाते-रिश्तेदारों की भीड़ के साथ ही आसपास गांव के लोग-जनप्रतिनिधि भी आ गए थे। जैसे ही मृत दंपती की अंतिम यात्रा शुरू हुई तो वहां मौजूद लोगों की आंखें छलक आईं।

हर कोई यही कह रहा था कि किसी ने नहीं सोचा था कि गांव में ऐसा दिन भी देखने मिलेगा कि एक ही परिवार के इतने लोगों की चिताएं एकसाथ निकलेगी। दीपचंद और हीराबाई का अंतिम संस्कार करने के बाद मौजूद परिजनों और लोगों की भीड़ कुछ देर बाद ही करीबी गांव उमरा की ओर बढ़ गई जहां करीब साढ़े 9 बजे निधान सिंह बाथरे के घर से 4 शवों का अंतिम संस्कार करने और 2 मासूमों अंश एवं अंशी को दफन करने के लिए अंतिम यात्रा शुरू हुई।

बच्चों को दफन करने के लिए निधान के नातेदार और ग्रामीणों के हाथ गड्ढे खोदते हुए कई बार कांपे और रूके लेकिन पास ही खड़े लोगों ने हाथ बढ़ाया और मासूमों को नम आंखों से गड्ढों में दफन कर दिया गया। खेत से लगे हुए मुक्तिधाम में 4 मृतकों गिंदाबाई, राजकुमारी, सुशीला, रानू की चिताएं एक साथ सटकर लगाई गईं। अंतिम संस्कार की क्रिया शुरू होते ही जैसे ही चिताओं को आग स्पर्श कराई गई तो आग के धुंआ के साथ वातावारण और भी शोकाकुल हो गया।

परिजनों का रोना-बिलखना शुरू हो गया, जिसने भी चिताओं और तकलीफ से रोते परिजनों को देखा वह भी अपने आंसू नहीं रोक सका। क्षेत्र में घटित हृदयविदारक घटना से पीड़ित परिजनों को सांत्वना देने विधायक डॉ. कैलाश जाटव, नरसिंहपुर विधायक जालम सिंह पटैल, पूर्व विधायक एनपी प्रजापति सहित अन्य जनप्रतिनिधि भी पहुंच गए थे, प्रशासन की ओर से भी पुलिस बल के साथ अधिकारी मौजूद रहे और वह भी सहमे रहे।

वहीं गाडरवारा के समीपी ठुठी हर्रई में दो संगीता एवं जीजीबाई के शवों का अंतिम संस्कार होने के दौरान यहां भी गांव शोक में डूबा रहा। करकबेल से लगे मुगली में सुन्नाबाई रजक का अंतिम संस्कार किया गया