अफ्रीकी देशों में हजारों लोगों की जान लेने वाले इबोला वायरस के बारे में अभी तक यह ठीक-ठीक पता नहीं चल पाया है कि वह कितने दिनों तक जीवित रहता है. हालिया शोध में यह बात सामने आई है.इबोला संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थ के सीधे संपर्क में आने से यह बीमारी फैलती है. अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ पीट्सबर्ग में सहायक प्रोफेसर काइल बिब्बी ने कहा, ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) आपसे कह रहा है कि संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकले बेकार पदार्थ को टॉयलेट या नालियों में डाल देने से उसमें मौजूद वायरस मर जाते हैं.’बिब्बी ने कहा, ‘वह सही हो सकते हैं, लेकिन इसका कोई सबूत नहीं है.’ शोधकर्ताओं ने कहा, ‘सतह, जल या किसी तरल में वायरस कितने दिन तक जीवित रह सकता है, यह पता लगाना और इस बीमारी के फैलने से रोकने के लिए कोई प्रभावी प्रक्रिया विकसित करना बेहद कठिन है.’मौजूदा दौर में WHO के दिशा-निर्देश के तहत मरीज के शरीर से निकले तरल पदार्थों को शौचालय या नालियों में डाल देना चाहिए. हालांकि इबोला रिसर्च लैब के मुताबिक, मरीज के तरल अपशिष्ट पदार्थों को नाली में डालने से पहले उसे कीटाणु से मुक्त कर देना चाहिए.रिसर्च पेपर में शोधकर्ताओं ने कहा है कि यह कोई नहीं जानता कि वायरस कितने दिनों तक जीवित रहता है. यह स्टडी पत्रिका ‘इन्वायरमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी लेटर्स’ में प्रकाशित हुआ है.