राजीव गांधी की स्मृतियां, राहुल गांधी के वादे। दोनों का योग विरोधियों को चित करने के लिए पर्याप्त होता था, लेकिन अबकी ऐसा नहीं है। खीर में मक्खी की तरह गिर पड़े हैं कांग्रेस के वे लोग जिन पर राहुल के संसदीय क्षेत्र के राजनीतिक प्रबंधन और जनता से संपर्क एवं संवाद की जिम्मेदारी है। इस जमात को चमचे और कई अन्य विशेषणों से नवाजा जा रहा है। पूरा संसदीय क्षेत्र इनको लेकर आक्रोशित है। राहुल की राह में असली रोड़ा तो यही लोग साबित होंगे।

जगदीशपुर इंडस्टियल एरिया में कुछ लोग चुनावी चर्चा करते दिखे। जेबी सिंह, श्रीचंद तिवारी, कमलेश पांडेय और पीएन मिश्र नामक ये चारों लोग सहायक अभियंता हैं और भेल में कार्यरत हैं। सभी कांग्रेस समर्थक हैं और राहुल गांधी को जीतते देखना चाहते हैं, लेकिन बिना लाग लपेट के कहते हैं कि जीत का मार्जिन कम होगा। यहां मोदी लहर तो नहीं है, लेकिन चमचों से नाराजगी की लहर है।

मोहनगंज में चाय की दुकान पर बैठे सरेसर ग्राम पंचायत के निवासी रामराज पांडेय, राजेंद्र कुमार पांडेय, रामचंद्र शुक्ला, धनंजय पांडेय और शिवबहादुर यादव चुनावी चर्चा छेड़ने पर दो टूक कहते हैं कि राहुल जीतेंगे तो लेकिन उनका ग्राफ गिरेगा। भाजपा का वोट बढ़ रहा है। रामचंद्र ने कहा, राजीव गांधी यहां रुकते थे और लोगों को बुला-बुला कर मिलते थे। आज कांग्रेसी मिलने तक नहीं आते। हम लोग तो अपने जगदीशपुर एमएलए (राधेश्याम) को पहचानते तक नहीं। अरे, काम न करें लेकिन कम से कम पब्लिक डीलिंग तो रखें।

जायस की ओर चलने पर ग्राम पंचायत गंगागढ़ के भागीरथपुर में कुछ लोगों के हाथों में आम आदमी पार्टी के झंडे और टोपी दिखाई देने पर पूछा तो पता चला कि ये आप के समर्थक नहीं हैं। कुछ लोग अभी निकले थे तो टोपी झंडा पकड़ा गए। साइकिल की दुकान चलाने वाले मो. हाशिम पान की गुमटी पर बैठे सुपारी काटते बाबूलाल, इफ्तिखार और इन दिनों घर आए दिल्ली में रहने वाले युवक श्रीधर पाठक ने माना कि राहुल जीतेंगे, लेकिन उन्हें झटका लगेगा। यह आखिरी चांस है। चमचों का राज और दलाल संस्कृति न खत्म हुई तो आगे पता चलेगा।

स्वतंत्रता सेनानी के आश्रित श्रीचंद तिवारी ने समझाया कि यहां का चुनाव दो तरह के लोगों के हाथ में है। एक वर्ग नाराज लोगों का है तो दूसरा अति नाराज लोगों का। बहुत संभव है कि नाराज लोग मतदान होने तक मान जाएं लेकिन अति नाराज मानने वाले नहीं हैं। अगर अति नाराज लोग भारी पड़े तो फिर क्या होगा, इसे समझा जा सकता है।

बहू ने बनाई पैठ

कम समय मिलने के बावजूद भाजपा की स्मृति ईरानी ने कस्बों से लेकर गांवों तक में पैठ बनाई है। तमाम लोग उनके प्रशंसक हैं तो वह खुद नरेंद्र मोदी का गुणगान करने से नहीं थकतीं। हजारीगंज में जगत सिंह ने बताया कि इतने कम समय में ही स्मृति कार्यकर्ताओं को चेहरे से ही नहीं बल्कि नाम से पहचानने लगी हैं।

अमेठी में भाजपा के पक्ष में सपाई

अमेठी में सपा का प्रत्याशी नहीं है तो सपा के नेता भी परिदृश्य से बाहर हैं। कहने को तो सपा का समर्थन कांग्रेस को है लेकिन हकीकत कुछ और है। कई जगह पर लोगों ने बताया कि सपा के लोग भाजपा के पक्ष में हैं। एक पूर्व विधायक ने कहा कि नेता जी ने तो मैनपुरी-कन्नौज तथा अमेठी-रायबरेली का समझौता कर रखा है, लेकिन हमें हराने के लिए भाई-बहन रोड शो करते हैं। ऐसे में हम कहां चले जाएं। क्या करें? हाथ पैर मारती बसपा और आप को लेकर दिलचस्पी केवल इस बात में है कि आप के कुमार विश्वास और बसपा के धर्मेद्र प्रताप सिंह को कितने वोट मिलते हैं। मुख्य लड़ाई से कहीं दूर तीसरे और चौथे स्थान की लड़ाई में इन दोनों में कौन किस पर भारी पड़ता है, यह देखने की बात होगी।