उज्जैन। शहर को एक दिन में करीब 655 करोड़ के निर्माण कार्यों की सौगात मिल रही है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान 126 निर्माण कार्यों का लोकार्पण करेंगे। इसके साथ ही शहर में सिंहस्थ के लिए बने सभी ब्रिज तथा ओवरब्रिज भी खुल जाएंगे। इससे लोगों को आवागमन में सुविधा होगी।

मुख्यमंत्री पहली बार एक दिन में 654.44 करोड़ के निर्माण कार्यों का लोकार्पण करेंगे। इसके पहले मुख्यमंत्री करीब 500 करोड़ के कार्य लोकार्पित कर चुके हैं। लोकार्पण के दूसरे चरण में 10 विभागों के 126 कार्यों का चयन किया गया है।

मुख्यमंत्री ने सुबह शहर में आते ही निर्माण कार्यों का लोकार्पण शुरू किया शुरूआत देवासरोड स्थित पाइप फैक्टरी चौराहा से हुई। समापन इंदिरानगर क्षेत्र स्थित च्यवनेश्वर महादेव मंदिर पर होगा। इस दौरान मुख्यमंत्री साधुसंतों से चर्चा और सिंहस्थ कार्यों की समीक्षा भी करेंगे। जनप्रतिनिधियों से चर्चा के बाद वे शाम 7.50 बजे इंदौर के लिए प्रस्थान करेंगे। प्रभारी मंत्री भूपेंद्रसिंह भोपाल से मुख्यमंत्री के साथ ही प्लेन से आएंगे।

एक साथ 9 पुलों का होगा उद्घाटन

सिंहस्थ की तैयारी के लिए शहर में बने सभी ब्रिज और ओवरब्रिज का एकसाथ उद्घाटन होगा। जीरो पाइंट ओवरब्रिज, एमआर 5, एमआर 10, चिंतामन क्रॉसिंग रेलवे ओवरब्रिज सहित शिप्रा नदी पर बने ऋणमुक्तेश्वर, नृसिंहघाट, बड़े पुल के समानांतर अतिरिक्त पुल, ओखलेश्वर घाट से विक्रांत भैरव तक बने ब्रिज का लोकार्पण होने जा रहा है। आम लोगों को इनके उद्घाटन का इंतजार सबसे ज्यादा है।

जीरो पाइंट रेलवे ओवरब्रिज के खुलने से लोगों को आगर रोड क्षेत्र से फ्रीगंज की ओर आने में बड़ी सुविधा मिलेगी। फ्रीगंज ओवरब्रिज पर जाना नहीं पड़ेगा। एमआर 5 ओवरब्रिज खुलने से लोगों को रेलवे फाटक खुलने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

लोनिवि मंत्री नाराज दौरा हुआ निरस्त!

लोनिवि मंत्री सरताजसिंह भी लोकार्पण कार्यक्रमों में शामिल होने वाले थे, लेकिन शाम को खबर आई कि उनका दौरा निरस्त हो गया है। चर्चा है कि वे किसी बात को लेकर नाराज हैं। – निप्र

एक तरफ श्रीकृष्ण दूसरी ओर बलराम सेतु

सिंहस्थ के सभी निर्माण कार्यों का नामकरण करने का प्रस्ताव निगम स्वीकृति की प्रत्याशा में मंजूर किया जा चुका है। इसमें शिप्रा नदी पर बने बड़े पुल (पुराना) का नामकरण श्रीकृष्ण सेतु, नए अतिरिक्त पुल का नाम श्री बलराम सेतु और छोटे पुल का सुदामा सेतु है।

जीरो पाइंट ब्रिज का नाम वराहमिहिर सेतु, एमआर 5 ओवरब्रिज का वासवदत्ता, एमआर 10 का राजा भोज, चिंतामन रेलवे क्रॉसिंग का श्री विशाला, ऋणमुक्तेश्वर पुल का जदरूप, नृसिंहघाट पुल का हरिहर, ओखलेश्वर घाट से विक्रांत भैरव तक वेताल, मंगलनाथ मंदिर पर बने नए पुल का नाम लोकमंगल, रामघाट रपट का संत, उज्जैन इंदौर रोड पर त्रिवेणी के पास बने पुल का नाम अहिल्या सेतु रखा है। इसी तरह सभी कार्यों के नामकरण किए गए हैं।

ढाई करोड़ का प्लान आखिर गया कहां

इस बार सिंहस्थ की तैयारियां योजनाबद्ध तरीके से करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने मास्टर प्लान बनाने को ढाई करोड़ स्र्पए मंजूर किए थे। कमोबेश सारे काम पूरे हो चुके हैं मगर इस प्लान का कोई उपयोग नहीं हो सका। नतीजा सामने है- सिंहस्थ क्षेत्र की व्यवस्था गड़बड़ा गई और 300 हेक्टेयर अधिक जमीन का अधिग्रहण करना पड़ रहा है।

शिवराज सरकार ने शहर को सुंदर बनाने के लिए करोड़ों स्र्पए खर्च किए। शुस्र्आत में इसके लिए मास्टर प्लान बनाने पर जोर दिया गया। इसके पर करीब ढाई करोड़ स्र्पए खर्च हुए, लेकिन प्लान का न प्रकाशन हुआ न अनुमोदन। अगर अनुमोदन हुआ भी है तो उसे आज तक सार्वजनिक नहीं किया। प्लान के अनुसार काम होते तो शहर की सुंदरता में और ज्यादा निखार आ सकता था। लिहाजा, सरकार इस मामले की तहकीकात कराए और पता करे कि मास्टर प्लान कहां गुम हो गया।
सबसे पहली घोषणा भूले
मुख्यमंत्री सिंहस्थ की अपनी सबसे पहली घोषणा भूल गए हैं। पूर्व महापौर रामेश्वर अखंड के शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री चौहान ने सिंहस्थ योजना के तहत त्रिवेणी से मंगलनाथ तक रिवर कॉरिडोर बनाने का ऐलान किया था। इसे अफसरों ने सिंहस्थ योजना में शामिल ही नहीं किया। -निप्र
शहर सुंदर तो हुआ, लेकिन…
प्लान के बगैर ही अफसरों ने शहर को सुंदर बनाने में कोई कसर तो नहीं छोड़ी किंतु कई खामियां ऐसी रह गई हैं जिससे करोड़ों स्र्पए खर्च करने के बाद भी कई सवाल उठ रहे हैं। कुछ उदाहरण-
साधु-संतों को उतनी जमीन नहीं मिल पा रही, जितनी वे चाहते हैं। अब 300 हेक्टेयर और जमीन का अधिग्रहण करने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।सभी फोरलेन सड़कों के डिवाइडर एक समान नहीं बनाए जा सके। कहीं लाल पत्थर के डिवाइडर तो कहीं लोहे की जाली वाले।
चामुंडा माता चौराहे पर भगवान महाकाल की पालकी की सुंदर प्रतिकृति बनाई गई है तो पास में सुलभ शौचालय बनाना किसी को रास नहीं आ रहा।
आगर रोड फोरलेन पर इतनी बड़ी रोटरी बना दी कि इससे फोरलेन संकरा हो गया। कोयला फाटक चौराहे की पुरानी रोटरी को तोड़ा नहीं गया। चामुंडा माता चौराहे पर रोटरी को बनाकर तोड़ना पड़ा।
कंट्रोल रूम सह वाच टॉवर के लिए पैसा मंजूर करने के बाद भी इसे बनाया नहीं जा सका।