दिल्ली के आर्कबिशप ने एक खत लिखकर राजनैतिक विवाद खड़ा कर दिया है, जिसमें उन्होंने ‘अशांत राजनैतिक वातावरण’ का ज़िक्र किया है.

दिल्ली के आर्कबिशप ने खड़ा किया विवाद, कहा - राजनैतिक माहौल अशांत है, आम चुनाव से पहले प्रार्थना कीजिए

दिल्ली के आर्कबिशप अनिल कूटो.

नई दिल्ली: दिल्ली के आर्कबिशप ने एक खत लिखकर राजनैतिक विवाद खड़ा कर दिया है, जिसमें उन्होंने ‘अशांत राजनैतिक वातावरण’ का ज़िक्र किया है, जिसकी वजह से लोकतंत्र तथा धर्मनिरपेक्षता को खतरा है, तथा इसमें सभी पादरियों से वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ‘देश के लिए प्रार्थना’ करने का आग्रह किया गया है.भारतीय जनता पार्टी (BJP) की प्रवक्ता शाइना एनसी ने दिल्ली के सभी चर्चों के नाम 8 मई को लिखे गए पत्र पर बात करते हुए कहा, “जातियों / संप्रदायों को उकसाने की कोशिश करना गलत है… आप उन्हें बता सकते हैं कि सही प्रत्याशी / पार्टी के लिए वोट करें, लेकिन यह सुझाव देना कि किसी एक पार्टी को वोट दें, और दूसरी को नहीं, और फिर भी खुद को छद्म-धर्मनिरपेक्ष ताकतों के खिलाफ धर्मनिरपेक्ष की संज्ञा देना दुर्भाग्यपूर्ण है…”


दिल्ली के आर्कबिशप अनिल कूटो ने अपने खत में प्रार्थना अभियान चलाने तथा प्रत्येक सप्ताह में एक दिन ‘देश की खातिर’ उपवास रखने के लिए कहा है. पत्र के साथ एक प्रार्थना भी भेजी गई, जिसे उनके अनुसार प्रत्येक रविवार को सामूहिक प्रार्थना सभा में पढ़ा जाना चाहिए.पत्र की शुरुआत में ही आर्कबिशप लिखते हैं, “हम एक ‘अशांत राजनैतिक वातावरण’ देख रहे हैं, जो हमारे संविधान में निहित लोकतांत्रिक सिद्धांतों तथा हमारे देश के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप के लिए खतरा है…” खत में लिखा गया है, “देश तथा राजनेताओं के लिए हमेशा प्रार्थना करना हमारी प्रतिष्ठित परम्परा है, लेकिन आम चुनाव की ओर बढ़ते हुए यह और भी ज़रूरी हो जाता है… अब जब हम 2019 की ओर देखते हैं, जब हमारे पास नई सरकार होगी, तो आइए, हम देश के लिए 13 मई से शुरू करते हैं एक प्रार्थना अभियान…”

इस खत के साथ भेजी गई प्रार्थना, जिसे सामूहिक प्रार्थना सभा में पढ़ने की हिदायत दी गई है, में कहा गया है, “परमात्मा करे, हमारे चुनाव पर पूरे सम्मान के साथ वास्तविक लोकतंत्र की परछाई बनी रहे, ईमानदार देशभक्ति की लौ हमारे राजनेताओं की अंतरात्मा को प्रकाशित करे… यही हमारी पुकार है, आसमानी पिता (परमात्मा), मुश्किल की इन घड़ियों में, जब बादलों ने सच, न्याय तथा स्वतंत्रता की रोशनी को ढक लिया है…” आर्कबिशप कार्यालय ने इस प्रार्थना के पीछे कोई भी राजनैतिक उद्देश्य होने से इंकार किया है, और कहा है कि यह चुनाव से पहले हमेशा होता आया है.