जम्मू की कोट बलवा जेल से अलगाववादी नेता यासीन मलिक को लाया गया दिल्ली, NIA करेगी पूछताछ

जम्मू की कोट बलवा जेल से अलगाववादी नेता यासीन मलिक को लाया गया दिल्ली, NIA करेगी पूछताछ
जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) चीफ यासीन मलिक को पूछताछ करने के लिए दिल्ली लाया गया है।

जम्मू, राज्य ब्यूरो। प्रतिबंधित अलगाववादी संगठन जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट के मुखिया यासीन मलिक को मंगलवार शाम कड़ी सुरक्षा के बीच तिहाड़ जेल लाया गया। जेल के अतिरिक्त महानिरीक्षक राजकुमार ने इसकी पुष्टि की है। जम्मू के कोट भलवाल जेल से लाए गए यासीन को बुधवार को राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआइए) की अदालत में पेश किया जा सकता है।

सुरक्षा कारणों से जेल अधिकारी अभी यह नही बता रहे हैं कि यासीन को तिहाड़ के किस बैरक में रखा गया है। उसे जेल में कड़ी सुरक्षा दी गई है। सुरक्षा में तैनात कर्मचारियों को इस बात की कड़ी हिदायत दी गई है कि उच्चाधिकारी की अनुमति के बिना यासीन से कोई भी व्यक्ति न मिलने पाए।

पुलवामा हमले के बाद से जम्मू-कश्मीर में कड़ी कार्रवाई करते हुए अलगाववादियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए फरवरी में यासीन मलिक को गिरफ्तार किया गया था। अधिकारियों के अनुसार, एनआइए ने अलगाववादी नेताओं और आतंकी संगठनों को आर्थिक मदद देने के एक मामले में यासीन मलिक के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट लिया है।

बता दें कि जब यासीन को गिरफ्तार  किया गया, तब उसे जम्मू की कोट बलवाल जेल में रखा गया था। एनआइए यासीन से उनकी फंडिंग को लेकर सवाल जवाब करेगी। गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में जेकेएलएफ पर गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने के चलते बैन लगा दिया था।

हाल ही में सीबीआइ ने एक याचिका दायर की थी, जिसमें जम्मू-कश्मीर के तीन दशक पुराने मामले में मलिक के खिलाफ केस खोलने की मांग की गई थी। फिलहाल जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।

पुलवामाा हमले के बाद हटाई गई कई लोगों की सुरक्षा 

पुलवामा हमले के बाद सरकार ने लगभग 18 नेताओं की सुरक्षा में या तो कटौती की है या सुरक्षा हटा दी गई थी। मंगलवार को राज्य के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राज्य के 400 से ज्याादा नेताओं की सुरक्षा फिर से बहाल कर दी है। पुलवामा हमले के बाद 900 से ज्यादा लोगों की सुरक्षा हटा दी गई थी। दरअसल ये फैसला राज्य के मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम के इस विवादित फैसले पर कई राजनीतिक दलों ने विरोध जताया था। इसपर राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने गृह मंत्रालय के इस फैसले पर एतराज भी जताया था।