त्योहार सिर पर, फिर मंडराया मिलावटी मावे का खतरा
भोपाल। त्योहारी सीजन शुरू होने को है, आने वाले दिनों में मावे की बिक्री में भी दो से तीन गुना इजाफा हो जाएगा। इस दौरान मिलावटी मावे को खपाने का सिलसिला भी शुरू हो जाएगा। इसके बावजूद अब तक खाद्य एवं औषधि विभाग द्वारा मिलावटी मावे की बिक्री पर रोक लगाने के लिए ठोस प्लानिंग नहीं की गई है।
पिछले वर्ष मावे के 1412 सेंपल फेल हुए थे। राजस्थान में मावे की बिक्री पर प्रतिबंध लगने के बाद राजधानी में भी कार्रवाई करने की बात होने लगी है।
सैंपलिंग, रिपोर्ट आने और कार्रवाई में देरी जैसी कमियों का फायदा मिलावट खोर उठाते हैं। विभाग ने पूरे प्रदेश में एक अप्रैल 2014 से मार्च 2015 तक 9532 सैंपल लिए। इसमें मावे के 362 सैंपल ही थे। इनमें से 9131 सैंपलों की जांच की गई और 1412 सैंपल फेल हुए।
शुरू नहीं हुई सैंपलिंग
विभाग के काम करने का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बीते 15 दिनों में मावे के एक भी सैंपल नहीं लिए गए। जबकि आगामी सीजन को देखते हुए व्यापरियों ने अभी से मावे का स्टॉकर करना शुरू कर दिया है।
भोपाल बना जंक्शन
विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक भोपाल में तो मावे की बिक्री सामान्य ही होती है लेकिन यहां से अन्य शहरों को मावा भेजा जाता है। भिंड और ग्वालियर से आने वाला मावा भोपाल के रास्ते होकर ही जाता है। इसलिए भोपाल मावे के जंक्शन के रूप में विकसित हो गया।
कब कितने मावे की बिक्री
40-50 डलिया आम दिनों में
90 -100 डलिया त्योहारों पर
150 – 175 डलिया शरद पूर्णिमा पर
30 किलो एक डलिया में
कैसे बनता है नकली मावा?
ऐसे करें पहचान
अपनी हथेली पर मावे को रगड़कर उसमें मिलावट की आसानी से पहचान कर सकते हैं। असली मावा रगड़ के बाद चिकनाई के रूप में देसी घी की तरह महक छोड़ता है। वहीं खाने पर असली मावा मुंह में चिपकता नहीं है। नकली मावे में गंध आती है। थोड़े से फीके मावे में टींचर आयोडिन डालनी होगी। इसकी एक बूंद डालते ही नकली मावे का रंग बदलकर काला या नीला हो जाएगा। शुद्ध मावे का रंग लाल रहेगा। टिंचर आयोडिन मेडिकल स्टोर से 10 या 12 रुपये में मिल जाएगी।




