तीन देशों की यात्रा पर रवाना हुए प्रणब मुखर्जी
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आज इजराइल, फिलीस्तीन और जॉर्डन के छह दिवसीय ऐतिहासिक दौरे पर रवाना हो गए। इसके साथ ही वह इजराइल और फिलीस्तीन की यात्रा करने वाले पहले भारतीय राष्ट्र प्रमुख बन गए हैं। यह दौरा उन्हें इन देशों के नेतृत्व को तनाव घटाने को राजी करने का अवसर प्रदान करेगा।
राष्ट्रपति के इन देशों की यात्रा पर रवाना होने के समय हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दिल्ली के उप राज्यपाल नजीब जंग, तीनों सेनाओं के प्रमुख और अन्य नौकरशाह उन्हें परंपरागत तरीके से विदा करने के लिए मौजूद थे। मुखर्जी की छह दिवसीय यात्रा का पहला पड़ाव जॉर्डन होगा जहां वह न केवल विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे बल्कि इराक के मोसुल कस्बे में आईएसआईएस द्वारा बंधक बनाये गये 39 भारतीयों की रिहाई सुनिश्चित करने में मदद की फिर से अपील करेंगे।
जॉर्डन के दो दिवसीय दौरे के बाद राष्ट्रपति 12 अक्तूबर को फिलीस्तीन फिर 13 अक्तूबर से इजराइल के तीन दिवसीय दौरे पर रवाना हो जाएंगे। राष्ट्रपति के जॉर्डन प्रवास के दौरान भारत दोनों देशों के बीच व्यापार की संभावनाएं बढ़ाने के अवसर देखेगा क्योंकि उस क्षेत्र में जॉर्डन भारतीय कंपनियों के लिए अभियान शुरू करने में आधारभूत भूमिका निभा सकता है।
धर्म और जाति को सत्ता पाने का हथियार न बनाया जाए: प्रणब मुखर्जी
मुखर्जी दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंध स्थापित होने के बाद पिछले 65 साल में उस देश में जाने वाले पहले राष्ट्रपति होंगे। इससे पहले 1988 में राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री के तौर पर जॉर्डन दौरा किया था। राष्ट्रपति शाह अब्दुल्ला से मिलेंगे और द्विपक्षीय संबंधों, क्षेत्रीय और परस्पर सहमति के अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर गहन विचार विमर्श करेंगे।
वह जॉर्डन विश्वविद्यालय भी जाएंगे जहां वह छात्रों और संकाय को संबोधित करेंगे। वह अम्मान में भारतीय राजदूत द्वारा भारतीय समुदाय और भारत के मित्रों के लिए आयोजित एक समारोह में हिस्सा लेंगे। फिलीस्तीन के दौरे में राष्ट्रपति वहां पर अपने समकक्ष महमूद अब्बास, प्रधानमंत्री रामी हमदल्ला और विपक्षी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ मुलाकात एवं बातचीत करेंगे।
वह अल कुद्स विश्वविद्यालय भी जाएंगे जहां उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया जाएगा। इसके बाद वह पूर्वी यरूशलम के अबु दीज में जवाहरलाल नेहरू सेकेंडरी स्कूल का उद्घाटन करेंगे। उन्होंने रवाना होने से पहले उन्होंने कहा कि भारत फिलीस्तिनियों के मुद्दे का सैद्धांतिक रूप से समर्थक रहा है और भारत ने हमेशा ही बातचीत के जरिये संप्रभु स्वतंत्र, व्यवहार्य और एकीकृत फिलीस्तीन देश के तौर पर समाधान निकालने का पक्ष लिया है जिसकी राजधानी पूर्वी यरूशलम हो और जिसकी इस्राइल से लगने वाली मान्य एवं सुरक्षित सीमाएं हों जैसा की क्वार्टेट रोडमैप में सहमति जताई गई थी।
यहां के बाद राष्ट्रपति मुखर्जी इजराइल जाएंगे जहां वह वहां की संसद नेसेट को संबोधित करेंगे। इजराइल में नेसेट को संबोधित करना वहां जाने वाले किसी भी नेता के लिए दुर्लभ सम्मान होता है। इस्राइल में मुखर्जी अपने समकक्ष र्यूवेन रिवलिन के साथ बातचीत करेंगे। वह प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से और नेसेट के स्पीकर यूली योएल एडेलस्टीन के साथ भी मुलाकात करेंगे।




