डीयू के तेवर नरम, जल्द शुरू हो सकते हैं दाखिले
चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम को लेकर डीयू के तेवर नरम पड़ रहे हैं। कुलपति के इस्तीफे की सूचना, छात्र संगठनों का जोरदार प्रदर्शन और शिक्षकों के विरोध के बाद डीयू प्रशासन और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के बीच सुलह के आसार दिख रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि कॉलेजों द्वारा तीन वर्षीय पाठ्यक्रम के तहत दाखिला शुरू करने की सहमति के बाद डीयू प्रशासन ने भी अपना रुख बदला है। बुधवार देर शाम डीयू के कुलसचिव ने ईमेल भेजकर बताया कि कुछ महत्वपूर्ण लोगों के प्रस्ताव पर विचार करने के बाद दाखिला प्रक्रिया जल्द शुरू हो सकती है।
डीयू के गेस्ट हाउस में शाम तीन बजे विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों, प्रिंसिपल समेत प्रतिष्ठित लोगों की 21 सदस्यीय समिति ने कुलपति के सामने छह सूत्रीय प्रस्ताव रखा। दिलचस्प यह है कि यह प्रस्ताव यूजीसी द्वारा बनाई गई स्टैंडिंग कमेटी से काफी मिलता जुलता है। साउथ कैंपस में डिपार्टमेंट ऑफ माइक्रोबायोलाजी के प्रोफेसर विजय के चौधरी ने पत्रकारों को इस संबंध में जानकारी दी। प्रोफेसर चौधरी ने कहा, ‘हम छात्रों की समस्या देख रहे हैं। हमारे पास इस समस्या का समाधान है। प्रस्ताव के हिसाब से दाखिला प्रक्रिया 30 जून सोमवार से और सत्र 28 जुलाई से शुरू हो सकता है।’
यह है प्रस्ताव
चार वर्षीय पाठ्यक्रम को तीन वर्षीय पाठ्यक्रम के तहत रखा जाए। फाउंडेशन कोर्स कम किए जाएं, बीटेक को यथावत चलने दिया जाए। तीन वर्ष में ऑनर्स की डिग्री देने के बाद चौथे वर्ष को वैकल्पिक रखा जाए। यदि कोई छात्र चौथे वर्ष में पढ़ना चाहता है तो उसे आनर्स विद रिसर्च की डिग्री दी जाए।
मामले में जल्द सुनवाई से हाईकोर्ट का इन्कार
दिल्ली हाईकोर्ट में बुधवार को दिल्ली विश्वविद्यालय में चार वर्षीय पाठ्यक्रम के पक्ष और विपक्ष में तीन मामले उठाए गए। सभी पक्षकारों ने जल्द सुनवाई की मांग की। न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी और न्यायमूर्ति वीके रॉव की अवकाशकालीन खंडपीठ ने तीनों ही मामलों में जल्द सुनवाई से इन्कार कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि यह मामला गंभीरता पूर्वक विचार के साथ सुनवाई के योग्य है। यह कार्य अवकाशकालीन खंडपीठ नहीं कर सकती। इसलिए संबंधित खंडपीठ एक जुलाई को मामले की सुनवाई करेगी।
पक्षकारों ने दाखिला प्रक्रिया प्रभावित होने की बात करते हुए 27 जून को सुनवाई की मांग की, लेकिन खंडपीठ ने इससे इन्कार कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि हम स्थिति को समझ रहे हैं। दाखिले प्रभावित नहीं होंगे, बस कुछ दिन के लिए दाखिला प्रक्रिया प्रभावित होगी। उल्लेखनीय है कि अधिवक्ता आरके कपूर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की है कि यूजीसी के निर्णय को लागू कर तीन वर्षीय पाठ्यक्रम शुरू किया जाए। कपूर ने कहा कि चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्र म (एफवाइयूपी) राष्ट्रीय शिक्षा नीति के खिलाफ है। इसलिए इसे हटाया जाना सही है। पिछले साल इस पाठ्यक्रम को लागू करने के मामले में 44 कालेजों ने डीयू के फैसले के खिलाफ वोट किया था।
डूटा के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर आदित्य नारायन मिश्र की तरफ से खंडपीठ को बताया गया कि वह चार वर्षीय पाठ्यक्रम को जारी रखने के पक्ष में है। डीयू ने इसे लागू करके कुछ गलत नहीं किया है। इसे यूजीसी के दिशा-निर्देश के तहत ही लागू किया गया था। इस प्रोग्राम के लागू होने के एक साल बाद यूजीसी ने इसे खत्म करने का निर्देश दिया है। इसलिए निर्देश को अमान्य घोषित किया जाए। उन्होंने कहा कि वह एक जुलाई तक मामले में अपनी याचिका दायर कर देंगे। अग्रसेन कालेज के आठ छात्रों ने वरिष्ठ अधिवक्ता मीत मल्होत्रा के माध्यम से हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दायर कर चार वर्षीय पाठ्यक्रम लागू करने की मांग की है। छात्रों ने कहा है कि यूजीसी पहले इस पाठ्यक्रम के लिए राजी था, लेकिन अब उसने यूटर्न ले लिया है। यूजीसी, डीयू व मानव संसाधन विकास मंत्रालय के बीच खींचतान से छात्र प्रभावित हो रहे हैं।
कुलपति ने इस्तीफे को लेकर नहीं दिया स्पष्टीकरण
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति के इस्तीफे को लेकर स्थिति अभी तक स्पष्ट नहीं हुई है। कुलपति ने इस्तीफे की खबर का खंडन या स्पष्टीकरण नहीं दिया है। हालांकि बुधवार को भी विश्वविद्यालय में गहमागहमी बनी रही। कुलपति आवास के बाहर कड़ी सुरक्षा थी और मीडिया का तांता लगा रह। इस संबंध में मीडिया कोआर्डिनेटर मलय नीरव ने कहा, ‘मुझे इस संबंध में कोई सूचना नहीं है। मंगलवार को लगभग ढाई बजे मेरे पास विश्वविद्यालय कार्यालय से फोन आया और कहा गया कि कुलपति ने इस्तीफा दे दिया है, आप इसकी सूचना मीडिया को दें दे। मुझसे जैसा कहा गया मैने वैसा किया।’ सूत्रों ने बताया कि कुलपति तकरार से व्यथित थे और इस्तीफा लिखकर रख लिया था, लेकिन भेजा नहीं था। शिक्षकों और अन्य अधिकारियों के मनाने के बाद वह स्थिर हैं।




