Scientists angry from Union Minister's statement on Darwin theory, demanding withdrawal of statement
Darwin Theory
केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह के डार्विन विकास सिद्धांत को गलत ठहराने पर वैज्ञानिकों ने नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि विभिन्न प्रजातियों से मानव के क्रमिक विकास का सिद्धांत सर्वमान्य है। इस पर दुनियाभर में एक राय है। वरिष्ठ वैज्ञानिकों राघवेंद्र गाडगकर, मानसविनी सारंगी, अयान बनर्जी और अमिताभ जोशी ने ऑनलाइन खत में मंत्री के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि सिंह का बयान पूरी तरह से गलत और बिना किसी वैज्ञानिक आधार के दिया गया है।

‘दुनिया भर में इसकी स्वीकार्यता है, शोध से इसकी पुष्टि भी हुई है ‘

सभी वैज्ञानिक दस्तावेज यही कहते हैं कि मानव का विकास बंदर से हुआ है और चिम्पेंजी मानव के सबसे करीबी है। बंदर से मानव के रूप में क्रमिक विकास करीब पांच करोड़ साल पहले हुआ। ऐसे में इसके किसी प्रत्यक्षदर्शी और उनके ग्रंथों का उपलब्ध होने का सवाल ही नहीं उठता है। डार्विन का विकास सिद्धांत ऐसा वैज्ञानिक तथ्य है जिसने कई भविष्यवाणियां की हैं और इनकी बार-बार प्रयोगों और अवलोकनों के जरिए पुष्टि हुई है।

ऑनलाइन खत लिखकर सत्यपाल सिंह से बयान वापस लेने की मांग की

इन वैज्ञानिकों ने केंद्रीय मंत्री ने अपने बयान को वापस लेने और इस पर खेद जताने की भी मांग की है। ऑनलाइन खत पर 3000 से ज्यादा लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं। इसमें कहा गया है कि मंत्री के दावे से हम वैज्ञानिकों, वैज्ञानिक समुदाय और लोगों को काफी दुख पहुंचा है। इन सभी ने इसके बच्चों के दिमाग पर गलत असर पड़ने की चिंता जताई है।

वैज्ञानिकों ने कहा कि स्कूल-कॉलेज के पाठ्यक्रम में बदलाव करना पीछे ले जाने वाला कदम होगा। सत्यपाल सिंह ने एक कार्यक्रम में कहा था कि डार्विन का सिद्धांत गलत था क्योंकि हमारे पूर्वजों ने इसका कहीं भी जिक्र नहीं किया है कि उन्होंने बंदर को मानव में बदलते हुए देखा था।