इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा कि लड़कियों के स्‍कूल्स में मेल टीचर, मेल हेडमास्टर या मेल पिंसिपल की नियुक्ति नहीं होनी चाहिए। बुधवार को एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि यूपी माध्‍यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को यह अधिकार है कि वह नियम बनाकर इस तरह की नियुक्तियों पर प्रतिबंध लगाए। कोर्ट ने कहा कि इस निर्णय पर पहुंचने से पहले राज्‍य की स्थिति‍यों पर भी विचार कर लिया गया है। यह फैसला लड़कियों के संस्‍थानों के हित में है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह फैसला डीपी गर्ल्‍स इंटर कॉलेज के प्रवक्ता मनमोहन मिश्रा की अपील को खारिज करते हुए दिया है। मिश्रा ने प्रिंसिपल पोस्ट के लिए बोर्ड द्वारा निकाले गए विज्ञापन के आधार पर अपने ही कॉलेज में इस पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन दिया था। इसको बोर्ड ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि मेल टीचर को लड़कियों के स्कूल में प्रिंसिपल नहीं बनाया जा सकता। बोर्ड ने इसके लिए नियमों का हवाला भी दिया।
बोर्ड के निर्णय के खिलाफ मिश्रा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जज ने अपने फैसले में कहा कि बोर्ड का आदेश सही है क्योंकि लड़कियों के स्कूल में मेल पिंसिपल नियुक्त नहीं किया जा सकता। एकल जज के इस आदेश को दो जजों मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचुड़ और न्यायमूर्ति एमके गुप्ता के समक्ष चुनौती दी गई थी। दो जजों की बेंच ने भी एकल जज के फैसले को सही मानते हुए बोर्ड के फैसले को सही माना।