खंडवा। जुलाई की पहली तारीख का बुधवार खंडवा के लिए ब्लैक वेडनस डे रहा। छोटी छैगांव के पास सड़क दुर्घटना में 25 लोगों की मौत और 25 से अधिक के घायल होने की खबर मिलते ही पूरे निमाड़ में मातम पसर गया। खंडवा के इतिहास में इसे अब तक सबसे भयावह हादसा बताया जा रहा है।

जिस किसी ने भी इसे सुना, उसके रोंगटे खड़े हो गए। हादसे के बाद शवों और घायलों को जिला अस्पताल में लाते ही चारों ओर अफरातफरी मच गई। अस्पताल प्रशासन की बौनी व्यवस्थाओं के आगे मददगारों का जज्बा भारी रहा और वे घायलों को दिलासा देते रहे तो शवों की शिनाख्त में भी प्रशासन की मदद की।

टाकलीमोरी नाके के पास खंडवा से दस किमी दूर सड़क हादसे का शिकार 25 लोगों में से 23 की पहचान हो गई है।

बस के उड़ गए परखच्चे

प्रारंभिक तौर पर बस और ट्रक की अनियंत्रित गति की वजह से दुर्घटना होना सामने आ रहा है। बस के पूरी तरह से परखच्चे उड़ गए, वहीं ट्रक का ड्रायवर लगभग एक घंटे तक स्टेयरिंग में ही फंसा रहा। ट्रक के घायल ड्रायवर को निकालने के लिए लोगों को कड़ी मशक्कत करना पड़ी। उसे निकालने से पहले स्टेयरिंग को रस्से से बांधकर खींचकर निकाला गया।

ट्रक ड्रायवर की हालत गंभीर बनी हुई है। बड़ी संख्या में लोगों ने पहुंचकर घायलों को निकाला और जिला अस्पताल भेजा। यहां अपर कलेक्टर एसएस बघेल, एडिशनल एसपी गोपाल खांडेल मौजूद रहे। बाद में पुलिसकर्मियों ने बस में से सामान ढूंढकर गंभीर घायलों और मृतकों की शिनाख्त का प्रयास किया।

खून से सन गई बस

बस-ट्रक की टक्कर इतनी भयावह थी कि घटना के बाद बस खून से सनी नजर आई। कहीं लाश पड़ी थी तो कहीं घायल कराह रहे थे। सड़क पर बस के परखच्चे बिखरे हुए थे। बस का स्टेयरिंग, सीट, टायर सहित अन्य पाटर््स सड़क पर इधर-उधर बिखर गए। ट्रक का आगे का एक टायर भी फट गया।

हर 10 मिनट में एक की मौत

सर्जिकल वार्ड में करीब 14 लोगों को भर्ती किया गया था। डॉक्टर व स्टाफ नर्स उन्हें बचाने की कोशिश में लगे हुए थे। इस दौरान हर 10 मिनट में एक-एक कर के सात घायलों ने दम तोड़ दिया। पहचान नहीं हो पाने से पुलिस व नर्सिंग स्टाफ ने उनके हाथ पर लिखे नाम की पट्टी हाथ पर चिपकाई।

पूरे गांव ने बढ़ाए मदद के हाथ

घटना के तुरंत बाद पूरा छैगांव देवी गांव मदद के लिए उमड़ पड़ा। ग्रामीणों ने न तो पुलिस का इंतजार किया न ही एम्बुलेंस का। जिससे जो मदद हो सकती थी उसने वो किया। 150 से अधिक ग्रामीणों ने बस में फंसे घायलों को बाहर निकाला। मदद करने के लिए गांव के बच्चे, बूढ़े और महिलाएं सब पहुंच गए। खंडवा की ओर आ रहे वाहनों में बैठाकर उन्हें जिला अस्पताल भेजा गया।

आधा किलोमीटर लंबा जाम

घटना के बाद इंदौर रोड पर वाहनों की कतार लग गई। रोड के दोनों ओर करीब आधा किलोमीटर तक जाम लग गया था। शाम 7 बजे घटना स्थल पर पहुंची क्रेन से रास्ते में फंसे ट्रक व बस को अलग किया गया। इसके बाद वाहनों की आवाजाही शुरू हो सकी। ट्रैफिक पुलिस ने मोर्चा संभालकर वाहनों को रवाना किया।

राहगीर भी मदद के लिए रूके

सड़क पर भीषण हादसा देखकर रास्ते से गुजर रहे राहगीर भी मदद के लिए रुक गए। छैगांवमाखन से अपने पिता के साथ खंडवा आ रही रूचिका राजेंद्र सोलंकी ने घटनास्थल पर रूककर घायलों की मदद की। इनके साथ पास ही खेत में काम कर रहे कमलेश मालीवाल भी मदद में जुट गए। कमलेश ने बताया भिड़ंत की आवाज किसी बम धमाके जैसी थी। पीछे पलटकर देखा तो दुर्घटना हुई थी।

घटनास्थल पर पहुंचा प्रशासन

घटना की सूचना मिलते ही बुधवार को ही बने पदमनगर थाने का सारा बल वहां पहुंच गया। छैगांवमाखन थाने से भी पुलिस बल वहां पहुंच गया। एडीएम एसएस बघेल, एएसपी गोपाल खांडेल, ट्रैफिक डीएसपी बीपी सलोकी सहित दोनों थानों के प्रभारी और अन्य पुलिसकर्मी घटना स्थल पर पहुंचे। प्रशासनिक व पुलिस अमले ने भीड़ को रोड से हटाया।

परिजन ढूंढते रहे अपनों को

जिला अस्पताल में शव और घायलों के पहुंचने के बाद परिजन अपनों को ढूंढते रहे। कोई मरचुरी रूम में रखे शवों को देखने पहुंचा तो कोई वार्डों में भर्ती घायलों में अपने रिश्तेदार को ढूंढता दिखा। अस्पताल परिसर में मातम का माहौल बन गया। हर तरफ से रोने और चीखने की आवाज सुनाई दी।

नगर निगम ने की ठहरने की व्यवस्था

घायलों के पास रिश्तेदार व मृतकों का शव लेने पहुंचे परिजनों के लिए नगर निगम ने श्रावगी धर्मशाला में ठहरने की व्यवस्था की है। प्रशासन द्वारा शवों को उनके घर तक पहुंचाने के लिए वाहनों की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही गंभीर घायलों को इंदौर भेजने के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था भी प्रशासन द्वारा की गई है।

भागमभाग बनी हादसों की वजह

खंडवा से इंदौर के बीच रोजाना 100 से अधिक बसें चलती हैं। हर गांव से सवारियों को बैठाने और तेजी से आगे निकलने की भागमभाग हादसों का कारण बनती है। बसों में क्षमता से अधिक सवारियां बैठाई जाती हैं। तेज गति में चल रही बस अनियंत्रित हो जाती है। दुर्घटनाग्रस्त बस चोरल के भगवानदास सैनी के नाम दर्ज है। ट्रक दयाल रोड लाइंस इंदौर का है। खाली ट्रक इंदौर से बेंगलूरू के लिए रवाना हुआ था। इसे खंडवा से सोया डीओसी ट्रक में भरना थी।

 

ग्रामीण क्षेत्रों के डॉक्टरों की सेवा

घायलों को अस्पताल लाने के बाद अफरातफरी का माहौल रहा। मौजूदा स्थिति में डॉक्टर कम पड़ने से ग्रामीण क्षेत्र पंधाना, हरसूद, छैगांवमाखन के डॉक्टरों की बुला लिया गया। डॉक्टर भी जो साधन मिला उससे ही खंडवा पहुंचे। घायलों को उपचार करने में उनकी मदद भी ली गई। इसके अलावा स्टॉफ नर्स और ट्रेनिंग नर्सों को भी बड़ी संख्या में बुला लिया गया।

एसपी ने संभाली कमान

बड़ी संख्या में लोगों के आने से अस्पताल पूरी तरह खचाखच भर गया था। सर्जिकल वार्ड, फिमेल सर्जिकल में लोगों की अधिक संख्या के चलते डॉक्टरों को उपचार करने में परेशानी हो रही थी। इसको देखते हुए एसपी महेंद्रसिंह सिकरवार ने बेवजह भीड़ लगाकर खड़े लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया। अस्पताल के मुख्य चैनल गेट को बंद कर पुलिस जवान तैनात कर दिए गए। इसके अलावा सर्जिकल वार्ड के बाहर भी पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई।

अस्पताल में अंधेरा, पंखे बंद

अस्पताल परिसर में मेल मेडिकल वार्ड के सामने अंधेरा पसरा रहा। सर्जिकल वार्ड के सामने भी यही स्थिति रही। यहां लाइट बंद होने से अंधेरे में परिजन खड़े रहे। करीब एक घंटे बाद अस्पताल कर्मचारी ट्यूब लाइट लेकर आए वह भी कुछ देर जलकर बंद हो गई। बाद में एक और ट्यूब लाइट लाई गई इसके बाद यहां रोशनी हो पाई। इसके अलावा फीमेल सर्जिकल वार्ड में दो ही पंखे काम कर रहे थे। बाकी पंखे बंद होने से घायल व उनके परिजनों को परेशानी का सामना करना पड़ा।

पलक झपकते ही हुआ हादसा

हम लोग इंदौर से खंडवा आने के लिए बस में सवार हुए थे। खंडवा से नेपानगर जाना था। बस में मैं और मेरी पत्नी उर्मिला (28) दोनों सवार थे। अचानक सामने से आ रहे ट्रक से बस पलक झपकते ही टकरा गई। भिड़ंत इतनी खतरनाक थी कि हम आगे की ओर गिर गए थे। पत्नी उर्मिला का पैर सीट के नीचे फंस गया था। किसी के हाथ, किसी के पैर और किसी के सिर में चोट लगी थी। चिल्लाने व रोने की आवाज अभी भी मेरे कानों में गूंज रही है। बस के परखच्चे उड़ गए थे। भगवान की कृपा रही कि मैं और पत्नी बच गए। लोगों के शव बस में फंसे हुए थे।