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अनुच्छेद 370 के विवादित प्रावधानों को हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में ढाई गुना से ज्यादा की वृद्धि हुई है। एक आरटीआई के जवाब में यह तथ्य सामने आया है कि अनुच्छेद 370 को निरस्त किये जाने के ठीक पहले के तीन महीनों मई, जून और जुलाई 2019 में जम्मू-कश्मीर में केवल 115 आतंकी हमले हुए थे।

जबकि कानून में परिवर्तन के बाद के तीन महीनों अगस्त, सितंबर और अक्टूबर 2019 के तीन महीनों में 299 आतंकी हमले हुए। इस प्रकार आतंकी हमलों में ढाई गुने से ज्यादा की वृद्धि हुई। यहां यह भी ध्यान देने योग्य तथ्य है कि पहले के तीन महीनों की आतंकी वारदातों में जहां 15 जवानों को शहीद हुए थे, वहीं कानून में बदलाव के बाद के तीन महीनों में ज्यादा मुठभेड़ के बावजूद केवल तीन जवानों को अपनी जान गंवानी पड़ी।

आरटीआई कार्यकर्ता रंजन तोमर के पूछे गए एक सवाल के जवाब में गृहमंत्रालय ने बताया है कि कानून के परिवर्तन के पहले के तीन महीनों में केवल 21 आतंकवादी मारे गए थे, जबकि अनुच्छेद 370 में परिवर्तन के बाद के तीन महीनों में 58 आतंकवादी सुरक्षा बलों की गोलियों के शिकार हुए।

माना जा रहा है कि अनुच्छेद 370 के विवादित प्रावधानों को हटाने से आतंकी बौखला गए थे और अपनी उपस्थिति दिखाने के लिए उन्होंने ज्यादा हमले किये। साथ ही, सुरक्षा बलों ने भी इस दौरान अपनी गतिविधियां बढ़ा दी थीं जिसका परिणाम ज्यादा मुठभेड़ों के रूप में सामने आया।