इंडियन प्रीमियर लीग में कथित सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने निर्वासित अध्यक्ष एन श्रीनिवासन के बोर्ड के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है. इसके अलावा 3 सदस्यीय कमिटी का गठन किया है कि जो चेन्नई सुपर किंग्स और राजस्थान रॉयल्स के भविष्य पर फैसला करेगी. फिक्सिंग में धोनी की नाम!

श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन और राजस्थान रॉयल्स के सह-मालिक राज कुंद्रा सट्टेबाजी के दोषी पाए गए हैं. उन्हें क्या सजा दी जाए, इस पर भी फैसला तीन सदस्यीय कमिटी ही करेगी. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के कानून 6.2.4 को भी खारिज कर दिया है जो बोर्ड के अधिकारियों को टीम में हिस्सेदारी खरीदने की इजाजत देता था. सुप्रीम कोर्ट ने 130 पन्नों के अपने फैसले में कहा है कि राज कुंद्रा और गुरुनाथ मयप्पन इंडियन प्रीमियर लीग के टीमों के अधिकारी हैं. उन्होंने मुद्गल कमिटी के सामने झूठ बोला. उन्हें सट्टेबाजी का दोषी पाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बीसीसीआई भले ही एक प्राइवेट संस्था है पर वह सार्वजनिक कामकाज से जुड़ा है इसलिए वह ज्यूडिशियल रिव्यू के अंदर आता है. कोर्ट ने एन श्रीनिवासन के बचाव के आरोपों पर क्लीन चिट दी है.

न्यायिक समीक्षा के दायरे में बीसीसीआई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘एक तरह से बीसीसीआई प्राइवेट संस्था नहीं है. सरकार ने उन्हें भारत के लिए टीम चुनने और प्रबंधन का हक दिया है. बीसीसीआई के खिलाड़ी देश के आइकॉन हैं. सचिन को भारत रत्न मिला. अन्य कई खिलाड़ियों को नागरिक सम्मान मिले हैं. सार्वजनिक कामकाज से जुड़े होने के कारण बोर्ड की कानूनी समीक्षा हो सकती है.’

गुरुनाथ मयप्पन
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुनाथ मयप्पन को सट्टेबाजी का दोषी पाया है. इसके अलावा गुरुनाथ मयप्पन का यह दावा भी खारिज हो गया कि वह सिर्फ क्रिकेट प्रशंसक के तौर पर चेन्नई सुपर किंग्स टीम के साथ जुड़े हुए थे, जबकि कोर्ट ने पाया कि मयप्पन चेन्नई सुपर किंग्स टीम के मालिक हैं.

राज कुंद्रा
राजस्थान रॉयल्स के सह-मालिक राज कुंद्रा को भी सुप्रीम कोर्ट ने सट्टेबाजी में लिप्त पाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज कुंद्रा की यह शिकायत गलत है कि मुद्गल कमिटी ने उनका पक्ष नहीं सुना.

एन श्रीनिवासन
एन श्रीनिवासन को करारा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्हें चेन्नई सुपर किंग्स और बीसीसीआई के बीच में चुनना होगा, क्योंकि यह हितों के टकराव का मामला है. दुनिया का कोई भी कानून हितों के टकराव की इजाजत नहीं देता. हालांकि श्रीनिवासन किसी भी मामले को दबाने के दोषी नहीं हैं. भले ही उन पर शक की सुई जाती हो पर इससे आरोप सिद्ध नहीं होते.

कोर्ट के फैसले से CSK का भविष्य अंधेरे में
कोर्ट ने कहा कि अब समय आय गया है जब श्रीनिवासन को अध्यक्ष पद या फिर चेन्नई सुपर किंग्स में से किसी एक को चुनना होगा. कोर्ट के फैसले के बाद चेन्नई सुपर किंग्स का भविष्य भी अंधकारमय दिख रहा है.