पठानकोट हमला हमारा काम, भारत-पाक वार्ता से लेना-देना नही: सलाहुद्दीन
मुजफ्फराबाद। कश्मीर को भारत के हिस्से से लेने के लिए लड़ रहे पाकिस्तान स्थित आतंकियों के समूह यूनाइटेड जिहाद काउंसिल (यूजेसी) के चीफ सैयद सलाहुद्दीन ने बुधवार को भारत के आरोपों पर पाकिस्तान सरकार द्वारा हुई कार्रवाई की खुलेआम जमकर निंदा की है। भारत ने पठानकोट में एयर बेस पर आतंकी हमले के लिए इन्हीं ग्रुपों को जिम्मेदार ठहराया है। इसके अलावा पाकिस्तान समर्थक और पाक के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित आतंकियों के समूह यूनाइटेड जिहाद काउंसिल (यूजेसी) के चीफ सैयद सलाहुद्दीन ने दो जनवरी को भारत के पठानकोट में एयर फोर्स के बेस पर हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी का दावा किया था।
यूजेसी चीफ सैयद सलाहुद्दीन ने पठानकोट हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि यह भारतीय सेना को निशाना बनाने की प्रक्रिया का हिस्सा है। पाकिस्तान की ऊर्दू न्यूज पोर्टल को दिए इंटरव्यू में सलाहुद्दीन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की कश्मीर नीति की भी आलोचना की।
उसने कहा कि, ‘कश्मीर मामले में पाकिस्तान प्राथमिक पार्टी और वकील है। भारत के साथ अपने रिश्ते सुधारने से पहले पाकिस्तान कश्मीरी लोगों की भावनाओं और आकांक्षाओं के प्रति जिम्मेदार है। आप एक हत्यारे और मृतक दोनों के दोस्त नहीं हो सकते।’
सलाहुद्दीन यूनाइटेड जिहाद काउंसिल का भी मुखिया है। यूनाइटेड जिहाद काउंसिल के प्रवक्ता ने ही पठानकोट हमले की जिम्मेदारी ली थी। पठानकोट हमले के भारत पाकिस्तान बातचीत को रोकने की साजिश के सवाल पर सलाहुद्दीन ने कहा कि, ‘यह धारण शत प्रतिशत गलत है। हथियारबंद मुजाहिदीन 26 साल से आठ लाख भारतीय सुरक्षाबलों के साथ लड़ रहे हैं। हर रोज वे भारतीय सेना पर हमले करते हैं। पठानकोट उसी प्रक्रिया की कड़ी था। इसका बातचीत से कोई लेना देना नहीं है। 150 से ज्यादा बार बातचीत हो चुकी है लेकिन कश्मीर मुद्दे पर एक बार भी चर्चा नहीं हुई। भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय को धोखा देने के लिए इस प्रक्रिया को अपनाता है ताकि उसे कश्मीर में अपने सैन्य बल को मजबूत करने में मदद मिल जाए। चाहे कोई इसे समझे या नहीं, हम कश्मीरी इसे समझते हैं।’
उसने कहा कि, भारत न तो कश्मीर के मूल मुद्दे पर चर्चा करना चाहता है और न ही अधिकृत कश्मीर को पार्टी मानने को तैयार है। इसलिए यह बातचीत प्रक्रिया समय की बर्बादी है। आजाद जम्मू कश्मीर मेरा घर और बेस कैंप है। नैतिक रूप से और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार हम हमारी कब्जाई हुई जमीन के लिए कोई भी तरीका अपना सकते हैं। भारत से डरे हुए लोग हमारा साथ देना छोड़ सकते हैं। भारत विरोधी भावनाएं और युवाओं में जिहाद के प्रति लगाव से उग्रवादी गतिविधियां चलती रहेंगी।