भोपाल । जिगर के जिस टुकड़े को माता-पिता ने अंगुली पकड़कर चलना सिखाया, जिसके एक कदम चलने पर उन्हें दुनिया की सारी खुशियां मिलने का अहसास होता था और वह फिर कभी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पाएगी, यह सोचना भी उनके लिए बेहद पीड़ादायक है। एक तरफ खराब आर्थिक स्थिति और दूसरी ओर एक पिता की लाचारी।

पिछले दिनों मिनी ट्रक की चपेट में आने से जिस मासूम मोहिनी की यह स्थिति हुई है, उसके इलाज पर करीब 20 लाख स्र्पए तक खर्च होने की संभावना है। इन सबके बीच एक बार फिर मोहिनी के अपने पैरों पर चलने की उम्मीद जगी है। गुरुवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बच्ची मोहिनी को देखने के लिए अस्पताल पहुंचे। उन्होंने कहा कि बच्ची का अच्छे से अच्छा इलाज किया जाए। उसके इलाज में कोई कमी न रहे। वे पूरा खर्च उठाएंगे।

खिलाया केक

गुरुवार को मोहिनी का जन्मदिन भी था। शर्मा ने बताया कि उन्हें पता चला कि सीएम अस्पताल आने वाले हैं। इस दौरान वे भी उन्हें मोहिनी के बारे में बताएंगे, लेकिन जब बाद में उन्हें बताया गया कि सीएम मोहिनी से मिलने ही आ रहे हैं तब उन्हें लगा कि अब बच्ची फिर अपने पैरों पर खड़ी हो सकेगी। उन्होंने कहा कि वे बच्ची का इतना महंगा इलाज कभी नहीं करवा पाते। मोहिनी के बर्थडे पर शिवराज ने उसे केक खिलाया। उन्होंने डॉक्टर्स से भी कहा कि वे उसका बेस्ट इलाज करें।

क्या हुआ था

गौरतलब है कि ऑटो रिक्शा चालक विजय ने 3 नवंबर को दोपहर को मोहनी को घर के पास छोड़ दिया था। इससे पहले कि वह आगे बढ़ता सड़क किनारे जा रही मोहनी को मिनी ट्रक ने अपनी चपेट में ले लिया। वह मोहनी को गोद में लेकर भोपाल मेमोरियल अस्पताल पहुंचा, लेकिन वहां से उसे दूसरे अस्पताल को जाने को कहा गया। इसके बाद वह उसे पीपुल्स अस्पताल ले आया, जहां से उसे नर्मदा अस्पताल रैफर कर दिया गया।

मोहिनी का इलाज करना हमारे लिए भी चुनौती है। साल भर में उसकी 6 से 8 सर्जरी होंगी। हमारी पूरी

कोशिश है कि वह अपने पैरों पर चल सके। जरूरत पड़ने पर बाहर से भी डॉक्टर बुलवाए जाएंगे। पूरी उम्मीद है कि वह चल पाएगी