नेपाल और अफगानिस्तान में भूकंप के बाद क्या भारत पर है खतरा
नई दिल्ली। अफगानिस्तान में सोमवार को 7.5 तीव्रता का भूकंप टेक्टोनिक प्लेट्स के टकराने के कारण आया था। इसी वजह से नेपाल में 25 अप्रैल को भारी तबाही मचाने वाला भूकंप आया था। एक शीर्ष भारतीय भूकंपविज्ञानी सीपी राजेंद्रन का कहना है कि यह संकेत है कि हिमालय क्षेत्र अब भूकंपीय दृष्टि से बहुत सक्रिय है।
बेंगलुरु के जवाहरलाल नेहर सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च के प्रमुख सीपी राजेंद्रन का कहना है कि इन क्षेत्रों की सरकारों को हिमालयी क्षेत्र में भूंकपीय गतिविधियों पर लगातार करीब से नजर रखनी चाहिए।
उन्होंने बताया कि सोमवार को 7.5 तीव्रता के भूकंप का केंद्र भारत से काफी दूर था। जाहिर तौर पर यह भारतीय टेक्टोनिक प्लेट के यूरेशियाई हिमालय की टेक्टोनिक प्लेट के निरंतर नीचे घुसने के कारण आया था।
भूकंपविज्ञानी ने बताया कि सोमवार को आया भूकंप भारतीय प्लेट से काफी दूर अफगानिस्तान-तुर्कमेनिस्तान बेल्ट में आया हुआ दिखता है। मगर, वास्तव में ऐसा प्रतीत होता है कि यह भारतीय प्लेट के अग्रणी किनारे के हिमालयन प्लेट के नीचे दबने के कारण आया था।
दो महाद्वीपीय प्लेट्स भारतीय और यूरोशियाई प्लेट्स के किनारे पर स्थित हिमालय भयावाह भूकंप के लिए अधिक संवेदनशील है।
भारतीय प्लेट ने करीब 10 लाख साल पहले यूरेशियाई प्लेट की ओर खिसकना शुरू किया था। आज ऑस्ट्रेलिया के रूप में जाने जाना वाला, भूमि का बड़ा हिस्सा उस वक्त भारतीय प्लेट से टूटकर अलग हो गया था। भारतीय प्लेट एशिया के साथ जुड़कर भारतीय उपमहाद्वीप का निर्माण कर रही थी।
भूकंप की भविष्यवाणी करने के लिए भारत सरकार की ओर से आंशिक रूप से फंडिंग किए जा रहे नए शोध में बताया गया है कि उत्तराखंड में इस सदी का सबसे भयानक भूकंप आ सकता है। इस इलाके में करीब एक करोड़ लोग रहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य के नीचे करीब 700 साल पुराना ‘फाल्ट’ अपने चरम पर पहुंच गया था।
यह जानकारी भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई विशेषज्ञों की एक बड़ी टीम ने दी है। टीम ने लैब और साइट पर की गई जांच के बाद यह निष्कर्ष दिया है, जिसके सदस्य राजेंद्रन भी हैं। टीम ने भागीरथी, अलखनंदा और काली नदी के किनरों पर इसकी जांच की थी। नेपाल में 7.3 से अधिक तीव्रता के भूकंप आने के बाद दुनियाभर के भूकंपविज्ञानियों का अनुमान है कि हिमालयी क्षेत्र में ऐसे कई भूकंप आ सकते हैं।