पांच बार आइसीसी अंपायर ऑफ द ईयर का सम्मान पाने वाले साइमन टॉफेल एक नई तकनीक के सहारे क्रिकेट में थर्ड अंपायर द्वारा लिए जाने वाले फैसलों को और भी सटीक बनाने की तैयारी में जुटे हुए हैं। उनके द्वारा ईजाद की गई नई तकनीक को अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम [यूडीआरएस] के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। इस नए रिव्यू सिस्टम को उन्होंने ऑफिसिएटिंग रिप्ले सिस्टम [ओआरएस] का नाम दिया है।

इस तकनीक के तहत 16 कैमरों का इस्तेमाल किया जाता है। एक वीडियो एनालिस्ट ऑपरेटर मैच के फुटेज को लाइव ही एक रीयल टाइम इमेज में बदलेगा और किसी भी कोण से अंपायर को इमेज दिखा सकेगा। टॉफेल का दावा है कि इसमें मुश्किल से पांच सेकेंड का समय लगेगा, जिससे खेल की गति पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ऑस्ट्रेलिया में चल रही एशेज सीरीज में इसका ट्रायल किया जा रहा है। इससे पहले अबु धाबी में श्रीलंका और पाकिस्तान के बीच हुई वनडे सीरीज के आखिरी मुकाबले में इस तकनीक का ट्रायल किया गया। आइसीसी ने यूडीआरएस का पहली बार प्रयोग 2008 में भारत के श्रीलंका दौरे पर किया, जिसमें हर टीम को पारी में दो बार मैदानी अंपायरों के फैसले के खिलाफ अपील करने का अधिकार दिया गया। 2009 में आइसीसी ने यूडीआरएस को अनिवार्य बनाने की कोशिश की, जिसका सबसे कड़ा विरोध भारत ने किया।

फिलहाल आइसीसी के टूर्नामेंटों में यह अनिवार्य है, लेकिन बाकी टूर्नामेंटों में यह पक्षों की सहमति पर निर्भर करता है। इसमें टीवी अंपायर कैमरा तकनीकों की मदद से फैसले पर पहुंचता है। यूडीआरएस के दौरान भी कई गलत फैसले हुए हैं इस कारण बीसीसीआइ इसका विरोध करता आ रहा है। भारतीय क्रिकेट बोर्ड के लिए ओआरएस राहत की तरह है। यदि इस नई तकनीक से ज्यादा सटीक फैसले निकले तो बीसीसीआइ शायद इसका समर्थन करे।