सारा अब्दुल्ला बोलीं- कश्मीरियों को भी बाकी भारतीयों की तरह अधिकार मिलें; सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च तक जम्मू-कश्मीर प्रशासन से जवाब मांगा
- सारा अब्दुल्ला ने 10 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पीएसए के तहत उमर की हिरासत को चुनौती दी
- याचिका में कहा- यह अभिव्यक्ति के अधिकार का हनन, सरकार की तरफ से विरोधियों की आवाज दबाने की कोशिश
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की हिरासत के खिलाफ उनकी बहन सारा पायलट की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका पर अदालत ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी कर 2 मार्च तक जवाब मांगा है। सुनवाई के बाद सारा ने कहा, “यह बंदी प्रत्यक्षीकरण का मामला है, इसलिए उम्मीद है कि हमें जल्द राहत मिलेगी। हमें न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है। हम यहां पहुंचे, क्योंकि हम चाहते हैं कि कश्मीरियों को भी बाकी भारतीय नागरिकों की तरह ही अधिकार मिलें। हम उसी दिन का इंतजार कर रहे हैं।”
सारा ने 10 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पब्लिक सेफ्टी एक्ट 1978 के तहत उमर की हिरासत को चुनौती दी थी। अपनी याचिका में उन्होंने कहा था- उमर की हिरासत उनकी अभिव्यक्ति के अधिकार का हनन है। यह सरकार की तरफ से अपने विरोधियों की आवाज दबाने की कोशिश है।
उमर और महबूबा पर पीएसए
जम्मू कश्मीर के दो बड़े नेता उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर 6 फरवरी को पीएसए के तहत केस दर्ज किया गया था। दोनों की हिरासत की अवधि इसी दिन खत्म हो रही थी। इन दोनों को अगस्त, 2019 से सरकारी गेस्ट हाउस में नजरबंदी में रखा गया है। पुलिस ने डॉजियर में लिखा कि उमर अब्दुल्ला का जनता पर खासा प्रभाव है, वे किसी भी कारण के लिए जनता की ऊर्जा का इस्तेमाल कर सकते हैं। पुलिस ने कहा- महबूबा ने राष्ट्रविरोधी बयान दिए और वे अलगववादियों की समर्थक हैं।