जीडीपी को लेकर प्रियंका का सरकार पर निशाना, पूछा- अर्थव्यवस्था को नष्ट करने की करतूत किसकी
बता दें कि मंदी के चलते देश की विकास दर में गिरावट आई है। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी 5.8 फीसदी से घटकर पांच फीसदी रह गई है। वित्त मंत्रालय के केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने शुक्रवार को इन आंकड़ों को जारी किया। पिछले साल यह इसी दौरान आठ फीसदी के पार थी। वहीं पिछले वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में यह 5.8 फीसदी थी।
वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर की पिछले साढ़े छह सालों में सबसे ज्यादा सुस्त रफ्तार देखने को मिली। जिन सेक्टरों में सबसे ज्यादा गिरावट देखने को मिली उनमें उत्पादन या फिर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 12.1 फीसदी के मुकाबले 0.6 फीसदी ग्रोथ देखने को मिली।
इससे पहले शुक्रवार को वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने मंदी के बीच देश की विकास दर के अनुमान को घटा दिया था। एजेंसी ने वित्त वर्ष 2019 और 2020 के लिए जीडीपी अनुमान में भारी कटौती की थी। एजेंसी ने वित्त वर्ष 2019 के लिए जीडीपी को 6.80 फीसदी से घटाकर के 6.20 फीसदी कर दिया है। वहीं 2020 के लिए जीडीपी को 7.30 फीसदी से घटाकर के 6.7 फीसदी कर दिया है।
एजेंसी ने बयान जारी करते हुए कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी का माहौल है, जिससे एशियाई देशों में भी असर देखने को मिला है। इससे निवेश का वातावरण भी प्रभावित हुआ है। भारत से दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था का ताज छिन गया है। साल 2018 में अर्थव्यवस्था सुस्त रहने की वजह से विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक भारत अब सातवें पायदान पर पहुंच गया है।