इस शुक्रवार(आज) को सुजीत सरकार निर्देशित ‘पिकू’ और सनी लियोनी की ‘कुछ कुछ लोचा है’ का प्रदर्शन हो रहा है। सुजीत सरकार, अमिताभ बच्चन और सोनी पिक्चर्स की भारतीय इकाई एमएसएम मोशन पिक्चर्स ने मिल कर ‘पिकू’ का निर्माण 38 करोड़ में किया है। पूरे विश्व के प्रिंट व प्रचार के खर्च सहित फिल्म की लागत 50 करोड़ रुपए होती है। पिकू के सैटेलाइट टीवी अधिकार 18 करोड़ रुपए में बिके हुए हैं।संगीत व विदेश वितरण से 5 करोड़ रुपए की राशि निकल जाएगी। भारत में 55 करोड़ के ग्रॉस व्यवसाय होने पर निर्माता की पूंजी सुरक्षित हो जाएगी।
सुजीत सरकार ने इसके पहले ‘विकी डोनर’ और ‘मद्रास कैफे’ जैसी अलग, लेकिन मनोरंजक हिट फिल्में बनाई हैं। इस बार उनके साथ एक्टिंग के तीन पावर हाउस अमिताभ बच्चन, दीपिका पादुकोण और इरफान खान जुड़े हुए हैं। टैलेंट का ऐसा बड़ा संगम एक ‘हटकर’ मनोरंजक फिल्म की उम्मीद जगाता है। दीपिका पादुकोण के लिए यह फिल्म अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि पहली बात यह एक नायिका प्रधान फिल्म है और दूसरी बात यह कि इस फिल्म में ग्लैमर डॉल ना होकर वे एक पात्र को निभा रही हैं। पूरे विश्व के प्रिंट व प्रचार खर्च सहित ‘कुछ कुछ लोचा है’ की लागत 15 करोड़ रुपए होती है। भारतीय बाजार के लिए इस फिल्म के वितरण के अधिकार निर्माता कुमार मंगत ने 7 करोड़ रुपए में खरीदे हैं। 16 करोड़ के ग्रॉस व्यवसाय पर उनकी पूंजी निकल जाएगी।
पिछले सप्ताह प्रदर्शित ‘गब्बर इज़ बैक’ ने पहले दिन 12.60 करोड़ का व्यवसाय किया और साप्ताहिक व्यवसाय 64 करोड़ का हुआ। इस साल की यह सबसे सफल हिंदी फिल्म है। प्रदर्शन के पूर्व फिल्म के टाइटल और प्रोमो से ऐसा लगता था कि यह फिल्म सिंगल स्क्रीन के दर्शको को ज्यादा पसंद आएगी। प्रदर्शन होते से ही मामला उल्टा हुआ और फिल्म मास दर्शक की जगह जेन्ट्री और परिवारो को ज्यादा पसंद आई। जनता के बीच तारीफ होने की वजह से सोमवार से गुरुवार के बीच इस फिल्म ने अच्छा प्रदर्शन जारी रखा। दूसरे सप्ताह में अगर जबरदस्त व्यवसाय हुआ तो इस फिल्म का 100 करोड़ के क्लब में पहुचना संभव होगा।
‘गब्बर’ के प्रदर्शित होते ही ज्यादातर तथाकथित फिल्मी आलोचकों ने इसकी भरपूर बुराई की। सामान्यतः इतने खराब रिव्यू से फिल्म को नुकसान होना चाहिए था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। यह फिल्म एक बार फिर तथाकथित फिल्म आलोचकों के सीमित प्रभावक्षेत्र को साबित करती है। ये आलोचक असफल नेताओ की तरह हैं जो ना जनता की पसंद-नापसंद को समझते हैं और भारत को समझना तो इनके बस की बात ही नहीं। इसी साल अक्षय कुमार की ‘बेबी’ का प्रदर्शन हुआ है, वह भी एक अत्यंत रोचक मनोरंजक फिल्म थी जिसे सभी आलोचकों ने भरपूर तारीफ दी।इतनी तारीफ होने के बावजूद बेबी का व्यवसाय गब्बर से 20 प्रतिशत कम है।