35A पर सुनवाई से पहले कश्मीर में अलगाववादियों की धरपकड़, 24 नेता हिरासत में
अधिकारी इस नियमित कार्रवाई बता रहे हैं लेकिन माना जा रहा है कि अनुच्छेद 35 ए पर 25 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से पहले यह कदम उठाया गया है, ताकि घाटी में माहौल खराब होने से रोका जा सके.
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार ने अलगाववादियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. हमले के 8 दिन बाद घाटी में बड़े स्तर पर धरपकड़ अभियान चलाया गया, जिसके तहत बीती रात कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी जम्मू एंड कश्मीर के प्रमुख अब्दुल हमीद फैयाज समेत 24 सदस्यों को हिरासत में लिया गया.
अधिकारी इस नियमित कार्रवाई बता रहे हैं, लेकिन माना जा रहा है कि अनुच्छेद 35 ए पर 25 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से पहले यह कदम उठाया गया है, ताकि घाटी में माहौल खराब होने से रोका जा सके. इस कार्रवाई से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि यह अलगाववादी समूह तहरीक-ए-हुर्रियत से संबद्ध संगठन पर पहली बड़ी कार्रवाई है.
जमात ने जताया विरोध
जमात ने एक बयान जारी कर हिरासत में लिये जाने की निंदा की और कहा है, ‘यह कदम इस क्षेत्र में और अनिश्चितता का राह प्रशस्त करने के लिए भली-भांति रची गई साजिश है.’ संगठन की ओर से दावा किया गया है कि 22 और 23 फरवरी की दरम्यानी रात में पुलिस और अन्य एजेंसियों ने एक व्यापक गिरफ्तारी अभियान चलाया और घाटी में कई घरों पर छापेमारी की. साथ ही संगठन के कई नेताओं को गिरफ्तार किया गया जिसमें अमीर (प्रमुख) डॉ. अब्दुल हमीद फैयाज और वकील जाहिद अली (प्रवक्ता) शामिल हैं.
जमात के सदस्यों को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, पहलगाम, दिआलगाम, त्राल सहित विभिन्न जगहों से हिरासत में लिया गया है. जमात ने ही सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 35 ए पर एक याचिका की सुनवाई के वक्त छापेमारी को संशयुक्त करार दिया.
इसके अलावा पुलिस ने शुक्रवार रात जेकेएलएफ प्रमुख यासिन मलिक को भी हिरासत में लिया. जम्मू कश्मीर में अतिरिक्त बल तैनात किया गया है लेकिन किसी ने भी इस तरह की व्यापक तैनाती के बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. पुलवामा जिले में सीआरपीएफ के एक काफिले पर बीती 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे, जिसके बाद सुरक्षाबलों को अलर्ट पर रखा गया है.
एक्शन से भड़के घाटी के नेता
अलगाववादी नेताओं पर नकेल का जम्मू कश्मीर के नेताओं ने विरोध किया है. सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने केंद्र की इस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं. महबूबा ने फैसले पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया, ‘पिछले 24 घंटे में हुर्रियत नेताओं और जमात संगठन के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया जा चुका है. मनमाने तरीके से उठाया गया ये कदम जम्मू-कश्मीर में मुद्दों को उलझा देगा. किस बिनाह पर नेताओं की गिरफ्तारी हुई? आप किसी शख्स को कैद कर सकते हो, उसके विचारों को नहीं.’
उधर, सज्जाद लोन ने भी अलगाववादी नेताओं की गिरफ्तारी पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘लगता है सरकार गिरफ्तारी का फायदा उठाना चाहती है, लेकिन सावधान हो जाएं क्योंकि 1990 में भी बड़ी तादाद में गिरफ्तारियां हुई थीं, नेताओं को जोधपुर और देश के अलग-अलग हिस्सों में भेजा गया. हालात ज्यादा बिगड़े. यह पहले से आजमाया हुआ एक विफल मॉडल है, कृपया यह बंद करें, यह काम नहीं आना वाला, हालात और खराब होंगे.’
क्या है अनुच्छेद 35 एअनुच्छेद 35 ए जम्मू-कश्मीर को राज्य के रूप में विशेष अधिकार देता है जिसके तहत दिए गए अधिकार ‘स्थाई निवासियों’ से जुड़े हुए हैं. इसका मतलब है कि राज्य सरकार को ये अधिकार है कि वो आजादी के वक्त दूसरी जगहों से आए शरणार्थियों और अन्य भारतीय नागरिकों को जम्मू-कश्मीर में किस तरह की सुविधाएं दे या नहीं दे. अनुच्छेद 35 ए संविधान की धारा 370 का ही हिस्सा है. इस धारा के कारण दूसरे राज्यों का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में ना तो संपत्ति खरीद सकता है और ना ही वहां का स्थायी नागरिक बनकर रह सकता है.