भोपाल। प्रदेश में सूखे के चलते किसानों की बाजार मूल्य के हिसाब से लगभग 22 हजार करोड़ रुपए की फसल चौपट हुई है। सोयाबीन, मूंग, उड़द, अरहर, धान सहित अन्य खरीफ फसलों के उत्पादन में 58 लाख टन की कमी आने की रिपोर्ट भू-अभिलेख कार्यालय ने दी है।इस स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय में हुई कृषि कैबिनेट में फैसला किया गया कि जिन इलाकों में सामान्य वर्षा होने के बावजूद उत्पादन प्रभावित हुआ है, वहां भी किसानों को राहत दी जाएगी। वित्त मंत्री जयंत मलैया और कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता का मांग पत्र सौंपेंगे।

बैठक में प्रमुख सचिव कृषि डॉ.राजेश कुमार राजौरा ने प्रजेंटेशन देकर फसलों की मौजूदा स्थिति की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि द्वितीय अनुमान के आध्ाार पर उत्पादन 58 लाख टन कम होने के आसार हैं। बाजार मूल्य के हिसाब से प्रभावित फसल 22 हजार करोड़ और समर्थन मूल्य के आध्ाार पर 13 हजार 800 करोड़ रुपए की है। सर्वाधिक नुकसान सोयाबीन को हुआ है। इसका बाजार मूल्य 42 सौ रुपए और समर्थन मूल्य 26 सौ रुपए प्रति क्विंटल है। फसल बीमा जनवरी-फरवरी में वितरित करने की तैयारी हो रही है।

इस बार 3000 करोड़ रुपए से ज्यादा का बीमा भुगतान 18 लाख से ज्यादा किसानों को हो सकता है। मुख्यमंत्री ने नुकसान की मैदानी रिपोर्ट के आधार पर केंद्र सरकार को मांग पत्र भेजने के निर्देश दिए। ये साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए के आसपास हो सकता है। मांग पत्र सौंपने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री से वित्त और कृषि मंत्री मिलेंगे। बैठक में ही मुख्यमंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का फोन लगाकर फसलों की स्थिति से अवगत कराया।

उन्होंने कैबिनेट के सदस्यों को बताया कि सभी विभागों के बजट में 15 प्रतिशत की कटौती कर किसानों को राहत उपलब्ध्ा कराई जाएगी। 25 से 27 अक्टूबर तक मंत्री और अधिकारी गांव-गांव दौरा करेंगे। सूत्रों के मुताबिक सूखे से प्रभावित रकबा बढ़कर 40 लाख हेक्टेयर हो गया है। 46 लाख किसानों पर इसका असर हुआ है।

नहीं हो सकती भरपाई

सूत्रों का कहना है कि फसल बीमा और राहत से भी किसानों को हुए नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती है। लघु और सीमांत यानी मध्यम स्तर के किसानों को 33 प्रतिशत से अधिक फसल क्षति पर प्रति हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र पर 15 हजार और असिंचित में 8 हजार रुपए की पात्रता है। इसी तरह 25 से 33 प्रतिशत नुकसान होने पर असिंचित क्षेत्र में 5 हजार और सिंचित क्षेत्र में 9 हजार रुपए अधिकतम मिल सकते हैं। बड़े किसानों को नुकसान की पूर्ति असिंचित भूमि पर 6 हजार 800 और सिंचित भूमि के लिए 13 हजार 500 रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से होती है।