जबलपुर। व्यापमं फर्जीवाड़े के आरोपियों की हाईकोर्ट में लंबित 145 जमानत अर्जियों की फाइलें महाधिवक्ता कार्यालय ने एसटीएफ के हवाले कर दीं। इसी तरह अन्य संबंधित दस्तावेज भी सीबीआई को सौंपे जाने के लिए एसआईटी/एसटीएफ को दे दिए गए हैं। मध्यप्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि व्यापमं फर्जीवाड़े की सीबीआई जांच की मांग मंजूर होने के साथ ही राज्य शासन की ओर से प्राप्त निर्देशों का महाधिवक्ता कार्यालय ने पूरी तत्परता के साथ पालन सुनिश्चित किया।

55 में से 27 केसों में जांच पूर्ण- कौरव ने बताया कि व्यापमं फर्जीवाड़े में दर्ज किए गए 55 क्राइम नम्बर्स में से 27 की जांच पुरानी जांच एजेंसी एसटीएफ ने पूरी कर ली थी। इन सबकी केस-डायरी सीबीआई के हवाले की जा रही है।

10 रिपोर्ट हाईकोर्ट के रिकॉर्ड में- उन्होंने बताया कि एसआईटी व एसटीएफ ने मॉनीटरिंग के दौरान जो 10 जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफों में पेश कीं, वे फिलहाल हाईकोर्ट के रिकॉर्ड में हैं। 24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट मॉनीटरिंग के बिन्दु पर जो भी फैसला सुनाएगा, उसके आधार पर ही इन रिपोर्ट के बारे में कोई निर्णय संभव होगा।

राज्य की ओर से नहीं होगी पैरवी- उन्होंने साफ किया कि जब तक एसटीएफ/ एसआईटी हाईकोर्ट की निगरानी में व्यापमं फर्जीवाड़े की जांच कर रहे थे, तब तक राज्य के महाधिवक्ता कार्यालय की ओर से पैरोकारों ने आरोपियों की जमानत अर्जियों का विरोध किया। मॉनीटरिंग प्रक्रिया में भी शामिल रहे। लेकिन अब सीबीआई के वकील विरोध करेंगे। ट्रायल कोर्ट में सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक और हाईकोर्ट में असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल ऑफिस की ओर से बहस की जाएगी।

जमानतों पर 24 के बाद होगी सुनवाई- व्यापमं फर्जीवाड़े के आरोपियों की जमानत अर्जियों पर सुनवाई 24 को सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई जांच के मुद्दे पर आगामी सुनवाई पूरी होने तक टाल दी गई हैं। इस बीच आवेदक सीबीआई को जमानत अर्जियों में पक्षकार बना सकते हैं।

पेनड्राइव सौंपने में कोई आपत्ति नहीं- मिस्टर एक्स द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में जमा कराई गई पेनड्राइन इन दिनों मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के रिकॉर्ड में है। उसे दोबारा परीक्षण के लिए एसटीएफ ने मांगा था। इस आवेदन पर सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता रवीश चन्द्र अग्रवाल, वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ व अमिताभ गुप्ता से लीगल ओपीनियन मांगी गई थी। 20 जुलाई को इस मामले में फैसला आना है। जो ओपीनियन सामने आईं, उनके मुताबिक पेनड्राइव एसटीएफ को सौंप दी जाएगी। जिसके बाद एसटीएफ वह पेनड्राइव सीबीआई के हवाले करेगी।

 

देश-दुनिया में घोटाले कई हुए। इतनी निष्पक्ष जांच का यह विरला उदाहरण है। इसका श्रेय हाईकोर्ट की मॉनीटरिंग को जाता है, जिस पर अविश्वास को कोई आधार नहीं बनता। जांच केस के सभी आवश्यक पहलुओं पर गौर करते हुए की गई। हाईकोर्ट ने समय-समय पर संज्ञान भी लिया। लेकिन 8 दिन के भीतर 4 मौतों से निर्मित वातावरण की वजह से रिजल्ट की कगार पर पहुंच गई एसटीएफ की जांच पर सवाल उठाए जाने लगे।