300 साल का इतिहास बदल रहा है। भोपाल विकास की नई इबारत लिखने को तैयार है। इस इबारत को लिखने का पहला इम्तिहान पास करने के बाद अब ऐतिहासिक शहर भोपाल स्मार्ट सिटी की राह पर दौड़ चला है। यह दौड़ उस दिशा में है, जहां शहर को वो सहूलियतें मिलने वाली हैं, जिसका सपना शहर में रहने वाले हर तबके को रहता है। पानी, बिजली, सड़क, साफ-सफाई और सबसे अहम सुरक्षा। 20 स्मार्ट सिटी में भोपाल का चुनाव यहां के रहवासियों के लिए एक सपने के पूरा होने जैसा है।

25 जून 2015 को देश के 100 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा के बाद भोपाल को पहली सूची में जगह बनाने में करीब 7 माह का वक्त लगा। 28 जनवरी 2016 को यह सूची जारी कर दी गई। देश के पहले 20 स्मार्ट शहरों की सूची में भोपाल ने अपनी जगह बनाई के लिए सात महीने काफी अहम रहे। स्मार्ट सिटी की परीक्षा पास करने के लिए भोपाल को चार प्रमुख राउंड में अपनी योग्यता साबित करनी पड़ी। पहले राउंड में सुझाव सम्मेलन, दूसरे राउंड में स्मार्ट सिटी योजना को आकार देने का प्रस्ताव और तीसरे राउंड में तैयार ड्राफ्ट पर जनता के सुझाव आमंत्रित किए गए तथा चौथे और आखिरी राउंड में शहरी विकास मंत्रालय के विशेषज्ञों के सामने 100 नंबर के वायबिलिटी टेस्ट की बाधा को पार करना था। भोपाल ने जनवरी के प्रथम सप्ताह में 55 प्रतिशत अंक हासिल कर ये बाधा भी पार कर ली।

पहले एसपीवी का गठन
इस अहम कामयाबी के बाद अब सबसे पहली कार्रवाई स्पेशल पर्पज व्हीकल (एसपीवी) कंपनी के गठन की होनी है। इसके जरिए ही प्रोजेक्ट की मॉनीटरिंग होगी। एसपीवी का मुखिया केंद्र से प्रतिनियुक्ति पर आईएएस अधिकारी को बनाया जाएगा, जबकि कलेक्टर को चेयरमैन की कमान सौंपी जाएगी।

क्या है स्पेशल पर्पज व्हीकल (एसपीवी)
स्पेशल पर्पज व्हीकल एक लिमिटेड कंपनी होगी। जो शहर में पूरे मिशन का क्रियान्वयन करेगी। प्लान तैयार करना, राशि जारी करना, मूल्यांकन और मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी इसकी होगी। इसका प्रबंधन संभालने सीईओ तैनात होगा। इस कंपनी में केन्द्र सरकार और राज्य सरकार और नगर निगम के प्रतिनिधि भी होंगे। राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि एसपीवी को राशि लगातार मिलती रहे। एसपीवी राजस्व के अन्य स्रोत भी तैयार कर सकेगी। एसपीवी में अधिकांश शेयर राज्य सरकार और नगर निगम के होंगे। साथ ही 20 से 40 प्रतिशत तक शेयर निजी क्षेत्र के भी हो सकते हैं। भारत सरकार से राशि एसपीवी को ही जारी की जाएगी। यह राशि केवल मिशन स्टेटमेंट में दर्ज कामों के लिए ही उपयोग की जा सकेगी। इसके अलावा राज्य सरकार को भी राशि देनी होगा। एसपीवी लोन लेकर भी काम करेगी।

थोड़ी और अच्छी प्लानिंग होती तो आती अच्छी रैंक
केंद्र सरकार के मापंदडों के मुताबिक स्मार्ट सिटी की परीक्षा पास करने के लिए शहरों को 100 नंबर का टेस्ट पास करना था। इसमें सिटी प्रोफाइल के 30 नंबर, एरिया बेस्ड डेवलपमेंट के 55 और पेन सिटी प्लानिंग के लिए 15 अंकों का प्रारूप तैयार किया गया है। नगर निगम भोपाल के ड्राफ्ट को सिटी प्रोफाइल और पेन सिटी प्लानिंग के पूरे नंबर मिले, लेकिन एरिया बेस्ड डेवलपमेंट की प्लानिंग कमजोर निकली और 55 में से सिर्फ 20 नंबर ही मिले। नगर निगम की ये कमजोरी अर्बन डेवलपमेंट एक्सपर्ट ओपी अग्रवाल ने भी पकड़ी थी। ड्राफ्ट में फ्यूचर बिजनेस जैसी बातें शामिल नहीं थीं, जिसे बाद में संशोधित किया गया।

ऐसे आकार लेगी
हमारी स्मार्ट सिटी
333 एकड़ जमीन चिह्नित। इसके 30 प्रतिशत भाग में निर्माण और 70 प्रतिशत भाग को ओपन स्पेस के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा।

रहवासी और व्यावसायिक इलाकों को आपस में जोडऩे के लिए पेडिस्ट्रियन रूट और साइकिल ट्रैक तैयार किए जाएंगे, ताकि प्रदूषण को कम किया जा सके।

मल्टीस्टोरी बिल्डिंग एनर्जी एफीशिएंट बनाई जाएंगी, ताकि दिन के वक्त प्राकृतिक रोशनी का इस्तेमाल हो सके और छतों पर सोलर पैनल लगाए जाएंगे।

बिजली, पानी और केबल कनेक्शन के लिए सर्विस हब बनाए जाएंगे जो हर घर से जुड़ेंगे। स्मार्ट वॉटर सप्लाई सिस्टम के जरिए लीकेज की मॉनीटरिंग होगी।

प्रमुख चौराहों पर इंटेलीजेंट ट्रैफिक लाइट एक्टिवेट रहेंगी जो वाहनों की संख्या के हिसाब से रेड, ग्रीन और ऑरेंज लाइट ब्लिंक करेंगी।

एलीवेटेड मेट्रो ट्रेन स्टेशन के पास किराए पर साइकिल मिल सकेंगी। स्मार्ट सिटी की तरफ लोक परिवहन से आने के लिए इसे डेवलप किया जाएगा।

फ्यूचर एक्सरसाइज
एसपीवी का गठन- 4 से 5 माह
केंद्र और राज्य की फंडिंग-
चालू वित्तीय वर्ष के अंत तक
जमीन का हस्तांतरण- 6 माह के अंदर पूरी होगी कार्रवाई
परिवारों का विस्थापन- एक साल में
रिडेवलपमेंट – 2017 में संभावित