स्पेक्ट्रम पर टेलिकॉम डिपार्टमेंट और कंपनियां आमने-सामने
भारती एयरटेल और वोडाफोन दिल्ली में अपने पास मौजूद स्पेक्ट्रम को सरकार को लौटाने के मूड में नहीं दिख रही हैं । इनका परमिट हालांकि 3 दिन पहले खत्म हो चुका है। दोनों कंपनियां स्पेक्ट्रम न लौटाने के पीछे दलील दे रही हैं कि इससे राजधानी में उनके 2 करोड़ से ज्यादा यूजर्स को दिक्कत होगी। इस रवैये के चलते इन कंपनियों और टेलिकॉम डिपार्टमेंट में ठन सकती है। मामले की जानकारी रखने वालों ने बताया कि इन कंपनियों ने नई फ्रिक्वेंसी पर ट्रांसफर होने के लिए और 45 दिन मांगे हैं। इस अनुरोध को ठुकराए जाने पर ये कंपनियां जुर्माना भरने को भी तैयार हैं। इन्हें उम्मीद है कि उनकी बात मान ली जाएगी क्योंकि यह स्थिति नई एयरवेव्ज के अलॉटमेंट में टेलिकॉम डिपार्टमेंट की ओर से हुई देर के कारण पैदा हुई है। इस नजरिये का समर्थन टेलिकॉम रेग्युलेटर ने भी किया है। डिपार्टमेंट ने फरवरी में ऑक्शन हो जाने के बावजूद स्पेक्ट्रम अक्टूबर में अलॉट किया था।
भारती एयरटेल, वोडफोन इंडिया और आइडिया सेलुलर सहित जीएसएम ऑपरेटर्स की प्रतिनिधि संस्था सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल राजन मैथ्यूज ने कहा, ‘यह समस्या टेलिकॉम डिपार्टमेंट के कारण पैदा हुई है। वह समय पर क्लीयरेंस नहीं दे सका। लिहाजा डिपार्टमेंट की जिम्मेदारी बनती है कि वह समस्या सुलझाने का उचित तरीका निकाले।’ मैथ्यूज ने डिपार्टमेंट से कंपनियों के पक्ष में फैसला आने की उम्मीद जताई।
भारती एयरटेल और वोडाफोन ने इस मामले में कॉमेंट करने से इनकार कर दिया। दोनों कंपनियों ने 25 नवंबर को टेलिकॉम डिपार्टमेंट को लेटर लिखकर मांग की थी कि उनके लाइसेंस की अवधि बढ़ाई जाए।
आइडिया सेलुलर ने अपनी इन दो प्रतिद्वंद्वियों को 15 जनवरी तक अपने 900 मेगाहर्ट्ज बैंड की एयरवेव्ज के इस्तेमाल की इजाजत दी थी और इसके बदले उसने कोई रकम भी नहीं मांगी थी।
इससे एयरटेल और वोडाफोन को नई अलॉटेड फ्रिक्वेंसीज में अपने नेटवर्क तैयार करने के लिए कुछ और वक्त मिल जाएगा। हालांकि इस एग्रीमेंट के तहत काम करने के लिए इन कंपनियों को टेलिकाम डिपार्टमेंट की मंजूरी चाहिए, जो अब तक नहीं मिली है। डिपार्टमेंट इन कंपनियों का एक अनुरोध पहले ही खारिज कर चुका है, जिसमें इन्होंने मौजूदा फ्रिक्वेंसीज से 900 मेगाहर्ट्ज में ट्रांसफर होने के लिए और 6 महीने का वक्त मांगा था। डिपार्टमेंट का कहना था कि ऐसा करना लाइसेंस एक्सटेंशन होगा, जिसकी इजाजत मौजूदा नियमों के तहत नहीं है।