सेवा की अनूठी मिसाल था यह शख्स, निधन पर आंसुओं भरी विदाई मिली
महेश्वर। अर्थी के चारों कांधों को चारों धाम मानने वाले और प्रदेश शासन के रामजी महाजन सम्मान से सम्मानित समाजसेवी मोहनलाल सोलंकी का अल्प बीमारी के बाद रविवार शाम इंदौर के चिकित्सालय में निधन हो गया। सोमवार को नगरवासियों ने उन्हें पेशवा घाट पर नम आंखों से विदाई दी। गत चार दशक में सैकड़ों लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करने वाले श्री सोलंकी की अन्य सेवाएं भी महत्वपूर्ण थीं। मोहन भाई ने कई वंचितों को शिक्षा दिलवाकर स्वावलंबी बनाया।
नगर में पूर्व में संचालित कन्या निकेतन की बालिकाओं की पढ़ाई व परवरिश में मददगार बनकर कुछ के हाथ भी पीले करवाए। गुमराह यात्रियों को उनके प्रदेश भिजवाने में भूमिका निभाई। छोटी-सी पान की दुकान द्वारा रोजी कमाने वाले मोहनभाई को दुकान इसलिए बंद करना पड़ी कि बच्चे पाउच खरीदने आते थे। अभाव में भी आनंद से जीवन बिताने वाले श्री सोलंकी में सेवा का जज्बा कूटकर भरा था। नगर की गतिविधियों में उनकी उपस्थिति सफलता की निशानी होती थी। कई संस्थाओं व जिला प्रशासन ने भी उन्हें सम्मानित किया था।
आज के आत्मकेंद्रित माहौल में मोहन भाई का जाना नगरवासियों को बिछोह पीड़ा दे गया।
श्री सोलंकी के नाम हो श्मशान घाट
पेशवा घाट पर आयोजित शोकसभा में शिक्षाविद् पीके गुप्ता ने उनकी स्मृति में अंतिम संस्कार के लिए एक कोष बनाने की पहल करने की बात कही। इंसानी मिट्टी की खराबी न हो इस बात से चिंतित मोहन भाई के नाम पर नवनिर्मित श्मशान घाट करने की बात नार्मदीय समाज के अजय जोशी ने की।




