नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी बड़े आराम से जीत दर्ज कर सकती है। हालांकि, दिल्लीवाले चाहते हैं कि अरविंद केजरीवाल सीएम बनें। यह उलटबांसी उन कई विरोधाभासों में सबसे महत्वपूर्ण है, जो दिल्ली के वोटर्स का मूड भांपने के लिए ईटी की ओर से कराए गए ओपिनियन पोल में सामने आए हैं। टीएनएस इंडिया ने यह पोल 21 नवंबर से 5 दिसंबर के बीच 35 विधानसभा क्षेत्रों में किया और 7,113 वोटरों से राय ली।इसके मुताबिक, बीजेपी 46% वोट शेयर कायम रख सकती है। इतना ही इसे लोकसभा चुनाव में मिला था। यह 43-45 सीटें जीत सकती है। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी 7% की छलांग के साथ 40% से ज्यादा वोट ले सकती है। उसे 22-25 सीटें मिल सकती हैं। हालांकि, पोल में शामिल 42% लोग केजरीवाल को सीएम के रूप में देखना चाहते थे। उनके बाद नंबर रहा केंद्रीय मंत्री हर्षवर्द्धन का, जिनके साथ 28% लोग थे। बीजेपी को जो सपोर्ट मिल रहा है, वह पीएम के नाम पर मिल रहा है। सर्वे में कहा गया, ‘बीजेपी के परफॉर्मेंस को नरेंद्र मोदी की इमेज से मदद मिल रही है।’ यहां तक कि सर्वे में बीजेपी समर्थक भी प्रदेश में नेतृत्व संकट से उलझन में दिखे और उनमें से 2% ने कहा कि वे केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनता देखना चाहते हैं। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सतीश उपाध्याय और सीनियर लीडर जगदीश मुखी को महज 2-2% लोगों ने पसंद किया। सीएम पद के लिए स्मृति ईरानी को 1% वोट मिल गए।

केजरीवाल और हर्षवर्द्धन के बाद किरण बेदी को ही 10% से ज्यादा लोगों ने पसंद किया। बेदी को 11% लोग सीएम के रूप में देख रहे हैं। उन्हें 10% सपोर्ट बीजेपी समर्थकों से और 1% AAP समर्थकों से मिला। उलट-पुलट का एक मामला यह भी रहा कि केजरीवाल भले ही सीएम पद के लिए फेवरिट हों, उनके लिए नई दिल्ली सीट सेफ नहीं रह गई है। सर्वे में शामिल लोगों ने कहा, ‘वहां उन्हें कड़ी चुनौती मिल सकती है।’ पिछली बार वहां से उन्होंने शीला दीक्षित को हराया था। आंकड़ों से पता चल रहा है कि केजरीवाल अपनी लोकप्रियता को पार्टी के विनिंग फॉर्म्युले में नहीं बदल पा रहे हैं। AAP के नेताओं का कहा है कि उनके पास ऐसे लोगों की कमी है, जिनमें करिश्मा हो या जिनके पास बीजेपी से लड़ने के लिए धन-बल हो। सर्वे के मुताबिक, 13 सीटों पर बीजेपी और AAP में बराबरी की टक्कर है। सिखों, दलितों, मुस्लिमों और ईसाइयों में AAP की पैठ दिख रही है तो अपर और मिडल क्लास बीजेपी को समर्थन करता दिख रहा है। ओबीसी में भी बीजेपी को AAP पर कुछ बढ़त मिलती दिख रही है। सर्वे में शामिल लोगों में से करीब 53 पर्सेंट दलितों, 54 पर्सेंट मुसलमानों और 49 पर्सेंट सिखों ने ‘आप’ का समर्थन किया, जबकि सवर्ण के 53 पर्सेंट और ओबीसी के 45 पर्सेंट लोग बीजेपी के पक्ष में रहे। सर्वे के अनुसार, केवल 36 पर्सेंट अपर कास्ट वोटर AAP के सपोर्ट में दिख रहे हैं।

उम्र भी एक बड़ा फैक्टर बनती दिख रही है। सर्वे के मुताबिक, 18 से 55 साल के बीच विभिन्न समूह के लोगों में AAP के मुकाबले बीजेपी को मामूली बढ़त ही दिखी, लेकिन 55 साल के बाद वाले एज ग्रुप्स में बीजेपी दमदार बनती दिखी और AAP के लिए सपोर्ट बेस घट गया। पिछले साल दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की कमान संभालने वाली पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को सीएम पद के रूप में देखने की चाहत रखने वालों का आंकड़ा 7 पर्सेंट रहा। हालांकि कांग्रेस का प्रदर्शन सुधरता नहीं दिखा। सर्वे के मुताबिक, हो सकता है कि कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो जाए या इसे अधिक से अधिक 3 सीटें मिल सकती हैं। इसका वोट शेयर 9.6% से नीचे जा सकता है और ऐसा होने पर AAP को फायदा होगा।