संसद में वित्त मंत्री: सुस्ती के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था नहीं है मंदी का शिकार
यूपीए-2 (2009-2014) और एनडीए (2014-2019) के पहले कार्यकाल का हवाला देते हुए मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में महंगाई दर कम थी और विकास दर काफी तेजी से आगे बढ़ रही थी।
वित्त मंत्री ने कहा कि 2009-14 में जहां 18950 करोड़ डॉलर का विदेशी निवेश हुआ था, वहीं 2014-19 के बीच यह बढ़कर के 28390 करोड़ डॉलर हो गया। विदेशी मुद्रा भंडार में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है। 30420 करोड़ डॉलर से बढ़कर के 41260 करोड़ डॉलर हो गया था।
राज्यसभा में इससे पहले, भोजनावकाश के बाद दो बजे से देश की आर्थिक स्थिति पर चर्चा की शुरुआत हुई थी। कांग्रेसी सदस्य आनंद शर्मा ने इस चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि जीडीपी की विकास दर कम हो रही है। उन्होंने कहा कि रोजगार घट रहे हैं, फैक्ट्रियां बंद हो रही हैं, भारत का किसान त्राहि त्राहि कर रहा है। अमीर और गरीब के बीच में खाई बढ़ती जा रही है। पिछले पांच वर्षों में देश की संपत्ति में एक फीसदी अमीरों की हिस्सेदारी 40 फीसदी से बढ़कर 60 फीसदी हो गई है। आज जो हालात हैं, वह केवल मंदी नहीं है।
अर्थव्यवस्था गहरे आर्थिक संकट की तरफ बढ़ चली है। उन्होंने कहा कि निवेश में करीब सात फ़ीसदी की गिरावट आई है। सरकारी निवेश और निजी निवेश दोनों ही घटा है। उन्होंने कहा कि आप बार-बार पांच लाख करोड़ डॉलर के अर्थव्यवस्था की बात करते हैं। आप पांच क्या दस लाख करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था बनाइए। किंतु पांच लाख करोड़ डॉलर तक तब पहुंचेंगे जबकि हमारी अर्थव्यवस्था की विकास दर लगातार छह साल तक नौ फीसदी रहेगी।
विकास दर में हुई थी बढ़ोतरी
पहले दिया था ये बयान
रक्षा बजट पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा था कि पिछले चार साल में रक्षा क्षेत्र में अधिक खर्च किया गया है। यह सच है कि वर्ष 2014 से पहले रक्षा क्षेत्र में कोई खरीदारी नहीं हुई। अब उसकी भरपाई कर आगे बढ़ना है। चाहे जितना खर्च हो जाए, इसकी परवाह नहीं है।