नई दिल्ली : थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति (महंगाई दर) नवंबर में शून्य पर आ गई। यह साढ़े 5 साल का न्यूनतम स्तर है। मुख्य तौर पर खाद्य, ईंधन और विनिर्माण उत्पादों के कारण हुआ।थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रस्फीति अक्टूबर में 1.77% पर थी जो नवंबर 2013 में 7.52% थी। सरकार द्वारा आज जारी आंकड़े के मुताबिक खाद्य मुद्रास्फीति करीब तीन साल के न्यूनतम स्तर 0.63% पर आ गई। खाद्य मुद्रास्फीति में मई से गिरावट का दौर जारी है।ऐसा शायद पहली बार हुआ है जबकि थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति ठी शून्य पर आ गई। थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति इससे पहले जुलाई 2009 में शून्य से 0.3% नीचे चली गई थी।सरकारी आंकड़ों के अनुसार नवंबर में प्याज की थोक कीमतें सालान 56.28 प्रतिशत घटीं जबकि अक्टूबर में इनमें एक साल पहले की तुलना में 59.77% की गिरावट आई थी। सब्जियों की कीमत 28.57% घटी। अंडा, मांस मछली जैसे प्रोटीन युक्त उत्पादों की कीमतें नवंबर में सालाना आधार पर 4.36% बढ़ी जबकि आलू में मुद्रास्फीति 34.10% रही। चीनी, खाद्य तेल, पेय पदार्थों और सीमेंट जैसे विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति नवंबर में घटकर 2.04% रह गई जो इससे पिछले महीने 2.43% थी।

ईंधन और बिजली की कीमतें 4.91% घटी जो अक्तूबर में 0.43% घटी थी। थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में यह तेज गिरावट पिछले लगातार छह महीने से गिरावट के बीच दिखी है। इससे पहले पिछले शुक्रवार को जारी खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों के अनुसार नवंबर में खुदरा मुद्रास्फीति गिर कर 4.38% के रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर पर आ गयी।

खुदरा और थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में नवंबर के दौरान तीव्र गिरावट के साथ-साथ अक्टूबर में औद्योगिकी उत्पादन में 4.2% की गिरावट के ताजा आंकड़ों से आरबीआई पर पर नीतिगत ब्याज दर में कमी करने का दबाव बढेगा ताकि आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन मिल सके। रिजर्व बैंक ने जनवरी से ब्याज दर में यथास्थिति बरकरार रखी है। आरबीआई अपनी मौद्रिक नीति तैयार करने के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति पर ध्यान देता है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी कई बार आरबीआई को दरों में कटौती का सुझाव दिया है। यह मामला पिछले सप्ताह लोकसभा की बहस में भी उठा। आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने पिछले दिनों कहा कि सिर्फ ब्याज दरों में कटौती से ही अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज नहीं की जा सकती है।उद्योगजगत वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए ब्याज दरों में कटौती की मांग करता रहा है। आर्थिक वृद्धि की दर जो 2013-14 में घटकर 4.7% पर आ गई था। चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 5.4-5.9% रहने की उम्मीद है।