राजनीति के छात्र के तौर पर इसे समझें तो पूरे खेल में यही समझ आया कि शिवसेना (Shiv Sena) ने बचकानी राजनीति की. सरकार बनाने को लेकर उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) इतने उतावले हो गए कि वह देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस (Congress) के सामने खुद की फजीहत करा बैठे.

शह-मात के खेल में गच्चा खा गई शिवसेना, कांग्रेस की गुगली से उद्धव हुए बोल्ड?
सोनिया गांधी की चाल को समझ नहीं पाए उद्धव ठाकरे?

उतावली दिखी शिवसेना (Shiv Sena)
रविवार शाम को बीजेपी ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को सूचित किया कि वह अकेले दम पर महाराष्ट्र (Maharashtra) में सरकार बनाने में सक्षम नहीं हैं. इसके बाद राज्यपाल कोश्यारी ने नंबर दो पार्टी शिवसेना (Shiv Sena) को यह मौका दिया. रविवार देर शाम तक खबर आई की शिवसेना (Shiv Sena) और एनसीपी के बीच सरकार बनाने को लेकर डील फाइनल हो चुकी है. खबर आई की डील के तहत उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) खुद मुख्यमंत्री बनेंगे. एनसीपी प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) के भतीजे अजित पवार को उप मुख्यमंत्री का पद मिल सकता है और जयंत पाटिल को गृहमंत्री का पद दिया जा सकता है. इस सरकार को बाहर से समर्थन करने के एवज में कांग्रेस (Congress) को विधानसभा अध्यक्ष का पद दिया जा सकता है. इस खबर को और हवा शिवसेना (Shiv Sena) सांसद संजय राउत की ओर से मीडिया में दिए गए बयान से मिली.

शिवसेना (Shiv Sena) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने रविवार शाम को कहा कि पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने कहा है कि महाराष्ट्र (Maharashtra) में अगला मुख्यमंत्री शिवसेना (Shiv Sena) का बनेगा, उन्होंने कह दिया मतलब समझिए वही होगा, चाहे वह किसी भी कीमत पर हो.

बिना सोचे समझे शिवसेना (Shiv Sena) ने तोड़ा मोदी सरकार से नाता
शिवसेना (Shiv Sena) की ओर से जारी यह बयान उस वक्त हल्की साबित हुई जब सरकार बनाने को लेकर सोमवार को बातचीत का दौर शुरू हुआ. दोपहर करीब एक बजे शिवसेना (Shiv Sena) प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) खुद एनसीपी प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) से मिलने मुंबई के होटल ताज लैंड्स एंड पहुंचे. मीडिया में खबरें आई की एनसीपी और शिवसेना (Shiv Sena) में डील फाइनल हो गई है. इसी बीच एनसीपी प्रवक्ता भुक्कल नवाब ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि वह शिवसेना (Shiv Sena) के साथ मिलकर सरकार बनाने को तैयार हैं, लेकिन इसपर कांग्रेस (Congress) की सहमति जरूरी है. नवाब के इस बयान से संकेत मिल गया था कि डील में अभी भी पेंच फंसा हुआ है.

इसी दौरान मीडिया में ये भी खबरें आई की शरद पवार ने शिवसेना (Shiv Sena) के सामने शर्त रखी है कि वह बीजेपी से पहले नाता तोड़े और केंद्र सरकार से अपने मंत्री का इस्तीफा कराए. तभी खबर आई की शिवसेना (Shiv Sena) नेता अरविंद सावंत ने केंद्र सरकार से इस्तीफा दे दिया है. इस इस्तीफे के बाद लगा कि शिवसेना (Shiv Sena) सरकार बनाने का जुगाड़ कर चुकी है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं था.

दिन भर शिवसेना (Shiv Sena) को उलझाए रखी कांग्रेस (Congress)
तभी खबर आई की कांग्रेस (Congress) की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने आवास पर कांग्रेस (Congress) कार्य समिति (CWC) की बैठक बुलाई है. इस बैठक में शिवसेना (Shiv Sena) को समर्थन देने पर सहमति नहीं बन पाई. इसके बाद शाम करीब चार बजे शिवसेना (Shiv Sena) प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने खुद सोनिया गांधी से फोन पर बातचीत की. इस दौरान दोनों नेताओं की क्या बात हुई इसपर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया.

इसके बाद सोनिया गांधी ने अपने आवास पर एक बार फिर से कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेताओं जैसे मल्लिकार्जुन खड़गे, अहमद पटेल, एके एंटनी, अशोक चव्हाण जैसे वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक कीं. इसी बैठक के दौरान सोनिया गांधी ने जयपुर में ठहरे हुए महाराष्ट्र (Maharashtra) कांग्रेस (Congress) के नवनिर्वाचित विधायकों से भी बातचीत कीं. इस बैठक का कोई नतीजा आता उससे पहले ही शिवसेना (Shiv Sena) खेमे से खबरें आने लगी की एनसीपी ने फैक्स के जरिए सीधे राजभवन को पत्र भेजकर शिवसेना (Shiv Sena) को समर्थन कर दिया है. वहीं सोनिया गांधी ने शिवसेना (Shiv Sena)-एनसीपी सरकार को बाहर से समर्थन का फैसला ले लीया हैं.

आदित्य के मुस्कुराते चेहरे के पीछे छिपी थी नाकामी!
सोमवार को शाम सात बजे के करीब शिवसेना (Shiv Sena) विधायक और उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के बेटे आदित्य ठाकरे कुछ कुछ निर्दलीय विधायकों के साथ मुस्कुराते हुए राजभवन पहुंचे. मीडिया में तस्वीरें और खबरें आईं की शिवसेना (Shiv Sena) ने 161 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी राज्यपाल कोश्यारी को सौंपते हुए सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है.

राज्यपाल से मुलाकात के बाद जब आदित्य मीडिया से मुखातिब हुए तब पता चला कि पिछले 24 घंटे से क्रीज पर चौके-छक्के जड़ती दिख रही शिवसेना (Shiv Sena) कांग्रेस (Congress) की गुगली पर बोल्ड हो चुकी है. आदित्य ने कहा कि राज्यपाल ने उन्हें 24 घंटे के भीतर सरकार बनाने के लिए पर्याप्त बहुमत जुटाने का समय दिया था, लेकिन ऐसा हो नहीं सका. आदित्य ने कहा कि कांग्रेस (Congress) और एनसीपी से बातचीत चल ही रही है, उन्होंने राज्यपाल से और भी 24 घंटे का वक्त मांगा लेकिन उन्होंने देने से मना कर दिया.

मौका मिलते ही खुद दौड़ी चली गई NCP
इसके बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने तीसरे नंबर की पार्टी एनसीपी को सरकार बनाने का न्योता भेज दिया. गौर करने वाली बात यह है कि सुबह से शिवसेना (Shiv Sena) के साथ सरकार बनाने का दावा करने वाली एनसीपी ने झट से राज्यपाल के न्योते को स्वीकारते हुए अपने नेता अजित पवार को राजभवन भेज दिया. एनसीपी की ओर से कहा गया है कि मंगलवार को कांग्रेस (Congress) के साथ Meeting के बाद ही वह स्पष्ट कर पाएंगे कि वह सरकार बनाने में सक्षम हैं या नहीं |

इस पूरे राजनीतिक घटनाक्रम में शिवसेना (Shiv Sena) की ओर से सरकार बनाने के लिए कई दफे दंभ भरना, केंद्र सरकार से अपने मंत्री का इस्तीफा करवाने जैसे कदम उठाने के बाद भी खाली हाथ होना साबित करता है कि वे राजनीतिक शह-मात के खेल में पूरी तरह फेल साबित हुए हैं. इन सारी बातों के बीच एक बात तो साफ है कि शिवसेना (Shiv Sena) को भले ही बीजेपी के बाद कांग्रेस (Congress) के चलते नाकामी हाथ लगी है, लेकिन बिना उसके राज्य में सरकार बनना आसान नहीं दिख रहा है. हालांकि एनसीपी और बीजेपी के मिलकर सरकार बनाने का आप्शन अब भी खुला है.