जयपुर। पूर्ण शराबबंदी और सशक्त लोकपाल की मांग को लेकर बीते एक महीने से अनशन पर बैठे पूर्व विधायक गुरशरण छाबड़ा का निधन हो गया है। बीती रात उनकी तबीयत बिगड़ गई थी।

छाबड़ा का निधन राजस्थान की राजे सरकार के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है, क्योंकि वे लंबे समय से अनशन पर रहे, लेकिन सरकार ने एक बार भी उनसे वार्ता नहीं की।

स्थानीय एसएमएस अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। तबीयत बिगड़ने पर उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया गया था। तब चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र राठौड़ और सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री अरुण चतुर्वेदी उन्हें देखने पहुंचे थे।

राजस्थान में जनहित के मुद्दे पर किसी अनशनकारी की मौत का पहला मामला बताया जा रहा है। छाबडा अपनी इस मांग को लेकर यूं तो पिछले ढ़ाई साल से आंदोलन कर रहे थे। इससे पहले उन्होंने कांग्रेस सरकार के समय भी लगभग इतना ही लंबा अनशन किया था।

उस समय सरकार ने शराबबंदी की मांग तो नहीं मानी, लेकिन शराब की दुकानों और अन्य मामलों को लेकर लिखित आश्वासन जरूर दिए। इसके बाद मौजूदा सरकार के समय पिछले वर्ष छाबड़ा ने फिर अनशन किया। वह भी एक माह से ज्यादा चला। उस समय भी एक समझौता सरकार से हुआ।

इसकी क्रियान्वयन के लिए एक कमेटी भी बनी और बैठकें भी हुई, लेकिन समझौता पूूरी तरह लागू नहीं हुआ। छाबडा ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को इसके लिए पत्र लिखा, लेकिन कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं होती देख इस वर्ष दो अक्टूबर से वे फिर अनशन पर बैठ गए। इस बार उनके साथ लोक संघर्ष मोर्चा के कार्यकर्ता भी जुटे। नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर और सामाजिक कार्यकर्ता अरूणा राय ने भी उनके धरने में शिरकत की।