भोपाल । मप्र व्यावसायिक परीक्षा मंडल की भर्ती परीक्षाओं में हुए फर्जीवाड़े के बाद एक और बड़ा घोटाला सामने आया है। व्यापमं की ओर से वर्ष 2008 से 2011 के बीच विभिन्न् परीक्षाओं में आवेदकों (परीक्षार्थियों) से करीब 20 लाख ज्यादा ओएमआर शीट और प्रवेश पत्र छपवाए गए।

मंडल को इससे 9 करोड़ 86 लाख 26 हजार 526 रपए का आर्थिक नुकसान हुआ है। वहीं दूसरी ओर इतनी भारी संख्या में अतिरि?त छपवाई गईं ओएमआर शीट और प्रवेश पत्रों के दुरपयोग से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। अब व्यापमं इस घोटाले से जुड़े हर मामले की जांच करवा रहा है।

उपसंचालक स्थानीय निधि संपरीक्षा भोपाल द्वारा किए गए ऑडिट की रिपोर्ट आरटीआई कार्यकर्ता मनोज त्रिपाठी द्वारा सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त की गई है। रिपोर्ट में उक्‍त चार साल की अवधि के दौरान हुईं करीब दो दर्जन विभिन्न् परीक्षाओं का जिक्र करते हुए यह बताया गया है कि कई परीक्षाओं में आवेदकों की संख्या से दोगुनी तक ओएमआर शीट प्रकाशित करवाई गई हैं।

जिनके उपयोग का दस्तावेजों में न तो कहीं जिक्र है और न ही व्यापमं के पास अतिरि?त ओएमआर शीट उपलब्‍ध हैं। रिपोर्ट में जिन परीक्षाओं का हवाला दिया गया है उनमें मुख्य रू प से 2010-11 की महिला एवं बाल विकास पर्यवेक्षक परीक्षा, पीईटी, पीएटी और फॉर्मेसी टेस्ट, प्री-एमसीए, एमईटी, जीएनएसटी, पीएनएसटी, 2010 की मंडी बोर्ड परीक्षा, पीएमटी, संविदा शिक्षक परीक्षा वर्ग-1, 2008 की पटवारी परीक्षा, पीईटी, फॉर्मेसी, पीएटी, पीएमटी, गुरूजी , पाहुट और एसओई परीक्षा, संविदा शिक्षक वर्ग-1, 2, 3 परीक्षा, 2007 की पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा शामिल है।

आवेदन के बाद ही होती है छपाई

नियमानुसार सभी परीक्षाओं में आंसर शीट (ओएमआर), प्रवेश पत्र, लिफाफे और नियम पुस्तिकाओं की छपाई आवेदन पत्र आने के बाद करवाई जाती है। इसके बावजूद अधिकारियों ने आवेदकों की संख्या से दोगुनी से पांच गुना अधिक छपाई करवाई। इससे यह साफ होता है कि अधिक छपाई जानकर कराई गई। इस अवधि में व्यापमं के चेयरमैन रणबीर सिंह, एसके चतुर्वेदी, दिलीप मेहरा, एमके राय और रंजना चौधरी थीं। वहीं डॉ. एसएस भदौरिया, एमसी जयप्रकाश नारायण डायरेक्‍टर रहे हैं।

आवेदकों से ज्यादा ओएमआर शीट और प्रवेश पत्र छपवाना निश्चित ही आश्चर्यजनक है। ऑडिट में सामने आई गड़बड़ी के हर मामले की जांच होगी। जांच में दोषी पाए जाने वाले हर व्‍यक्ति के खिलाफ कार्रवाई होगी।

 

भोपाल । मप्र व्यावसायिक परीक्षा मंडल की भर्ती परीक्षाओं में हुए फर्जीवाड़े के बाद एक और बड़ा घोटाला सामने आया है। व्यापमं की ओर से वर्ष 2008 से 2011 के बीच विभिन्न् परीक्षाओं में आवेदकों (परीक्षार्थियों) से करीब 20 लाख ज्यादा ओएमआर शीट और प्रवेश पत्र छपवाए गए।

मंडल को इससे 9 करोड़ 86 लाख 26 हजार 526 रपए का आर्थिक नुकसान हुआ है। वहीं दूसरी ओर इतनी भारी संख्या में अतिरि?त छपवाई गईं ओएमआर शीट और प्रवेश पत्रों के दुरपयोग से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। अब व्यापमं इस घोटाले से जुड़े हर मामले की जांच करवा रहा है।

उपसंचालक स्थानीय निधि संपरीक्षा भोपाल द्वारा किए गए ऑडिट की रिपोर्ट आरटीआई कार्यकर्ता मनोज त्रिपाठी द्वारा सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त की गई है। रिपोर्ट में उक्‍त चार साल की अवधि के दौरान हुईं करीब दो दर्जन विभिन्न् परीक्षाओं का जिक्र करते हुए यह बताया गया है कि कई परीक्षाओं में आवेदकों की संख्या से दोगुनी तक ओएमआर शीट प्रकाशित करवाई गई हैं।

जिनके उपयोग का दस्तावेजों में न तो कहीं जिक्र है और न ही व्यापमं के पास अतिरि?त ओएमआर शीट उपलब्‍ध हैं। रिपोर्ट में जिन परीक्षाओं का हवाला दिया गया है उनमें मुख्य रू प से 2010-11 की महिला एवं बाल विकास पर्यवेक्षक परीक्षा, पीईटी, पीएटी और फॉर्मेसी टेस्ट, प्री-एमसीए, एमईटी, जीएनएसटी, पीएनएसटी, 2010 की मंडी बोर्ड परीक्षा, पीएमटी, संविदा शिक्षक परीक्षा वर्ग-1, 2008 की पटवारी परीक्षा, पीईटी, फॉर्मेसी, पीएटी, पीएमटी, गुरूजी , पाहुट और एसओई परीक्षा, संविदा शिक्षक वर्ग-1, 2, 3 परीक्षा, 2007 की पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा शामिल है।

आवेदन के बाद ही होती है छपाई

नियमानुसार सभी परीक्षाओं में आंसर शीट (ओएमआर), प्रवेश पत्र, लिफाफे और नियम पुस्तिकाओं की छपाई आवेदन पत्र आने के बाद करवाई जाती है। इसके बावजूद अधिकारियों ने आवेदकों की संख्या से दोगुनी से पांच गुना अधिक छपाई करवाई। इससे यह साफ होता है कि अधिक छपाई जानकर कराई गई। इस अवधि में व्यापमं के चेयरमैन रणबीर सिंह, एसके चतुर्वेदी, दिलीप मेहरा, एमके राय और रंजना चौधरी थीं। वहीं डॉ. एसएस भदौरिया, एमसी जयप्रकाश नारायण डायरेक्‍टर रहे हैं।

आवेदकों से ज्यादा ओएमआर शीट और प्रवेश पत्र छपवाना निश्चित ही आश्चर्यजनक है। ऑडिट में सामने आई गड़बड़ी के हर मामले की जांच होगी। जांच में दोषी पाए जाने वाले हर व्‍यक्ति के खिलाफ कार्रवाई होगी।

उमाशंकर गुप्ता, तकनीकी शिक्षा मंत्री

नियमानुसार परीक्षार्थियों की संख्या से ज्यादा एक भी ओएमआर शीट प्रकाशित नहीं करवाई जा सकती है। 2008-2011 के ऑडिट में गड़बड़ियां सामने आई हैं। इनकी जांच चल रही है। जो भी जिम्मेदार होगा, उस पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

तस्र्ण पिथौरे, डायरेक्‍टर, व्यापमं

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