भोपाल/जबलपुर। 4 जुलाई 2014 जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. डीके साकल्ले की संदिग्ध मौत।

कारण- अभी सच सामने नहीं आया। ठीक साल भर बाद 4-5 जुलाई की दरमियानी रात- यहीं के दूसरे डीन डॉ. अरुण शर्मा की दिल्ली में मौत।

कारण – अभी अज्ञात। (इन 365 दिनों में दो डीन बदले जा चुके हैं, दोनों ने खुद को हटाने के लिए कई बार कहा इसके बाद डॉ. अरुण शर्मा को वरिष्ठता के आधार पर डीन बनाया गया।) दोनों ही डीन के पास व्यापमं घोटाले के मामले में कई अहम दस्तावेज थे। दोनों ही इसकी जांच से भी जुड़े थे।

इस बीच 1 जुलाई को आईएमए अध्यक्ष डॉ. सुधीर तिवारी का बयान की डॉ. साकल्ले की मौत लेजर गन से हुई और उनकी भी जान को खतरा है। डॉ. तिवारी के बयान और डॉ. साकल्ले व डॉ. शर्मा की मौत के बीच बड़ा सवाल \’टाइमिंग\’ का है।

यही बात रविवार को पूरे चिकित्सा शिक्षा जगत में चर्चा का विषय बनी रही। सभी ये जानना चाह रहे थे कि यदि ये सही है तो पर्दे के पीछे आखिर कौन है। 45 मौतों के बाद ये घोटाला आखिर कब तक और कितनी बलि लेगा।

पत्रिका ने इस चर्चा के आधार पर सीबीआई के जानकारों से बात की तो उनका कहना था कि अब यह घटनाक्रम इतना संदिग्ध हो गया है कि इसका छोर पकडऩा जरूरी है। एसटीएफ अभी तक इसमें नाकाम रही है। इस प्रकरण को सीबीआई को सौंपे जाने के पर्याप्त कारण हैं।

सीबीआई के जानकार तो इसे यूपी में एनआरएचएम घोटाले में फंसे चिकित्सकों की एक के बाद एक हुई हत्या थी से भी इसे जोड़कर देख रहे हैं। वहां डॉक्टरों की मौत का सिलसिला सीबीआई द्वारा जांच हाथ में लिए जाने के बाद ही थमा था।

व्यापमं घोटाले में मप्र के सभी मेडिकल कॉलेजों की ओर से नियुक्त नोडल अधिकारी डॉ. बीके गुहा का कहना है व्यापमं से जुड़े मामलों में डीन की भूमिका अहम होती है। उन्हें इस संबंध में निकलने वाले सभी दस्तावेजों की जानकारी रहती है साथ ही कोई भी आदेश उनके हस्ताक्षर के बिना नहीं निकल सकता। यह देखना होगा कि डॉ. शर्मा और डॉ. साकल्ले के पास ऐसे कौन से प्रकरण थे। जो उनकी जान के दुश्मन बन गए हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि एक ही कॉलेज के दो डीन की मौत के पीछे कोई बड़ा रैकेट है, इसलिए डीन कार्यालय को सील कर उसकी गहन जांच होना चाहिए।

फिर बोले तिवारी, मेरी जान को खतरा

डॉ. साकल्ले की मौत लेजर गन से हुई है, यह कहकर सनसनी फैलाने वाले आईएमए के अध्यक्ष डॉ. सुधीर तिवारी ने एक बार फिर अपनी जान को खतरा होने की बात दोहराई। इसके चलते उन्होंने रविवार को आईजी डी. श्रीनिवासराव से मिलना चाहा, लेकिन आईजी नहीं मिले। हालांकिन उन्होंने यकीन दिलाया कि हम डॉ. तिवारी की हर बात को समझेंगे।

डॉ. तिवारी की बात में कितना दम

डॉ. तिवारी आईएमए के अध्यक्ष हैं। लेजर की बात कहकर उन्होंने भले ही एक नया सवाल खड़ा कर दिया हो, लेकिन डॉ. साकल्ले का अंतिम संस्कार होने के साल भर बाद इसकी तह तक पहुंच पाना एसटीएफ, एसआईटी या पुलिस के बूते का नहीं है।

वे खुद की जान को खतरा बता रहे हैं, पुलिस का मानना है कि व्यापमं के तार कहीं न कहीं उनसे जुड़े हैं, या उनके पास कोई आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत हैं। इसके चलते ही पुलिस ने शनिवार को बयान के लिए बुलाया था, क्या बयान दिए, पुलिस कुछ नहीं बता रही।

डॉ. तिवारी डॉ. साकल्ले के बेहद नजदीकी थे। यह भी कहा जा रहा है कि डॉ. साकल्ले ने अपनी मौत होने की कोई सूचना डॉ. तिवारी से साझा की हो। यदि यह सही है तो डॉ. तिवारी साल भर से चुप क्यों बैठे रहे? आईएमए अध्यक्ष होने के नाते वे सरकार पर दबाव बना सकते थे।

मेडिकल कॉलेज में फर्जी तरीके से प्रवेश लेने वाले 93 छात्र-छात्राओं को बर्खास्त किया गया था। यह कार्रवाई दो साल से टल रही थी, डॉ. साकल्ले ने आगे बढ़कर बर्खास्तगी के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर दिए। इस बारे में डॉ. साकल्ले ने डॉ. तिवारी से क्या-क्या बातें साझा की।

टोटल रिकॉल

पूर्व डीन डॉ. साकल्ले की मौत का रहस्य एक साल बाद भी बरकरार है। मौत जिन परिस्थितियों में हुई वह आत्महत्या है या हत्या उसे लेकर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। सीबीआई ने पहले जांच से इनकार कर दिया और शासन द्वारा गठित जांच कमेटी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची।

डॉ. साकल्ले 4 जुलाई की सुबह 7 बजे अपने घर पर ही आग से जली हुई हालत में मिले थे। 15 मिनट पहले ही उनकी पत्नी मॉर्निंग वॉक के लिए गई थीं। वे लौटीं तो डॉ.साकल्ले बेहोश मिले थे। उन्होंने शोर मचाया। शोर सुनकर चंद कदम दूर कैज्युअल्टी से कर्मचारियों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया। जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

� �

इसलिए गहराया संदेह

डॉ.साकल्ले कई तरह के जहर के जानकार थे। सबसे दर्दनाक मौत आग से जलने से ही होती है, पर उन्होंने यह रास्ता क्यों चुना। डॉ. साकल्ले का विसरा प्रिजर्व नहीं किया गया।

डॉ. साकल्ले व्यापमं 2009 घोटाले की जांच समिति में थे। उनके पास इस मामले से जुड़े तमाम अहम सबूत थे। उन्हें लगातार धमकियां मिल रही थी। पुलिस ने जांच नहीं की। केरोसिन डालने के बाद आत्महत्या करने से तुरंत मौत नहीं होती। दो-तीन दिन मौत होती है।

डॉ. साकल्ले की बॉडी ड्राय मिली, जबकि मिट्टी का तेल डालकर जो आत्महत्या करता है उसकी बॉडी वेट (गीली) मिलती है। इसके अलावा गंध भी आती है।

डॉ. साकल्ले को व्यापमं से जुड़े कुछ मामलों की जानकारी हो गई थी जोकि कुछ लोगों के लिए मुसीबत पैदा कर सकती थी।

मामले की सीबीआई जांच क्यों नहीं करवाई गई। गंभीर मामला होने के बाद भी इसे सीबीआई को नहीं सौंपा गया।

सब सन्न…

सुबह लगभग 10 बजे थे। टीवी चैनलों पर फ्लैश चला। जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अरुण शर्मा की संदिग्ध हालात में मौत। फिर क्या था खबर आग की तरह फैली। दिल्ली से जबलपुर और जबलपुर से दिल्ली तक सनसनी। चिकित्सा जगत, मध्य प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में जिसने भी सुना स्तब्ध रह गया। 366 दिन में दूसरे डीन की मौत चौंकाने वाली ही खबर थी। व्यापमं महाघोटाला कनेक्शन को लेकर लोग एक-दूसरे को फोन कर जानकारी हासिल करते रहे। डॉ. शर्मा का शव 5 जुलाई यानी रविवार को दिल्ली के होटल में मिला। 4 जुलाई 2014 को तत्कालीन डीन डॉ. डीके साकल्ले मेडिकल कॉलेज परिसर स्थित अपने घर में ही मृत अवस्था में मिले थे।

एक माह में ढूंढ़े कई राज

डॉ. शर्मा को डीन बनाने का आदेश 30 मई को आया था। उनके करीबियों का कहना था कि वे व्यापमं घोटाले से जुड़ी जांचों के कारण इस पद का चार्ज नहीं लेना चाहते थे। डॉ. साकल्ले की मौत के बाद भी उन्हें डीन बनाने की चर्चा हुई थी, पर वे तैयार नहीं हुए। दोबारा आदेश आने पर उन्होंने एक जून को पदभार संभाला था। इसके बाद वे दो बैठक में भोपाल गए थे। तीन दिन पहले किसी कॉलेज के निरीक्षण में गए थे। इसके बाद यह उनकी पहली लंबी यात्रा थी। हालांकि इस एक माह में उन्होंने व्यापमं की कई कडिय़ों को जोड़ लिया था। करीबियों का कहना है कि ये कडिय़ां किसी न किसी आरोपी तक पहुंचती हैं। संभवत: इन्हीं में से कोई आरोपी ऐसा है जो डॉ. साकल्ले की जांच में भी संदिग्ध था। यही वजह है कि दोनों डीन की मौत संदेहास्पद मानी जा रही है।

पत्नी की हालत बिगड़ी

अनहोनी की खबर सुबह 7.30 बजे उनके घर के लैंडलाइन नंबर पर आए फोन पर मिली। दिल्ली पुलिस के एसीपी राजेश ने घर पर फोन किया। फोन डॉ. शर्मा की पत्नी सुधा ने उठाया। जानकारी मिलते ही वे बेहोश हो गईं। परिजन के अनुसार वे बार-बार यही कह रही थीं कि एेसा नहीं हो सकता। भतीजे राहुल ने तत्काल वाइस डीन और मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ.मनोज पाराशर को खबर दी। डॉ. पाराशर के अनुसार डॉ.शर्मा की पत्नी को इस घटना के बाद गहरा मानसिक आघातपहुंचा है। दवा देकर उन्हें आराम करने की सलाह दी गई है।

आठ को जाना था इंदौर

मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक डॉ.राजेश तिवारी के अनुसार वे इस घटना से स्तब्ध हैं। डॉ.शर्मा शनिवार को अगरतला जाने के लिए फ्लाइट से रवाना हुए थे। 8 जुलाई को लौटने वाले थे। उन्होंने 8 की रात ही इंदौर के मेडिकल कॉलेज में होने वाली बैठक में जाने के लिए डॉ.तिवारी से तैयार रहने को कहा था। वाहन चालक रवि पॉल से उन्होंने तैयार रहने की बात कही थी।