इंदौर। व्यापमं घोटाले में आईएएस अफसर एवं वर्तमान में सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) की मेंबर रंजना चौधरी को बचाने में एसटीएफ 42 लाख रूपए की बात भूल गई। चौधरी को सरकारी गवाह बनाने की तैयारी है। जबकि व्यापमं के तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक पंकज त्रिवेदी अपने मेमोरेंडम और एसटीएफ को पूछताछ में साफ कह चुके हैं कि उन्होंने इस घोटाले से हासिल की गई रकम में से 42 लाख रूपए रंजना चौधरी को दिए थे। तब रंजना व्यापमं की चेयरमैन थी। सूत्रों ने बताया कि पैसे के बंटवारे में भी 42 लाख का हिसाब नहीं आ रहा है। इस कारण माना जा रहा है कि त्रिवेदी ने जो बयान दिया है वह सही है। बावजूद एसटीएफ रंजना को आरोपी बनाकर गिरफ्तार करने से बच रही है।

सूत्र बताते हैं कि इसके लिए आईएएस लॉबी के साथ ही सरकार का भी दबाव है। चौधरी की गिरफ्तारी होने पर कई बड़े आरोपियों पर भी हाथ डालना पड़ेगा, जिन्हें उनकी आड़ में बचाने का प्रयास किया जा रहा है। एसटीएफ ने रंजना से दो दिन पूछताछ भी की लेकिन उसका दावा है कि इस दौरान वह लगातार पैसे लेने की बात से इंकार करती रही। उनसे व्यापमं से संबंधित अन्य पूछताछ की गई है जो आरोपियों को सजा दिलाने में मददगार साबित होगी। लेकिन एसटीएफ के पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि जो 42 लाख रूपए देने की बात त्रिवेदी ने अपने मेमोरेंडम में बताई थी, उसकी तहकीकात कहां तक हुई।

सवालों में एसटीएफ की भूमिका

एसटीएफ ने रंजना चौधरी की गिरफ्तारी की तैयारी कर ली थी। दो दिन नजरबंद कर पूछताछ भी की गई, लेकिन अचानक से एसटीएफ ने यू-टर्न लिया और रंजना चौधरी को बरी कर दिया। इसके बाद से एसटीएफ रंजना के मामले में बचती नजर आ रही है।