नई दिल्ली.नरेंद्र मोदी आज वियतनाम के दौरे पर रवाना होंगे। 15 साल पहले अटल बिहारी वाजपेयी इस देश के दौर पर गए थे। मोदी इस दौरान ब्रम्होस मिसाइल के अलावा पेट्रोल बोट और क्रूड ऑयल सेक्टर में करार कर सकते हैं। अगली जी-20 समिट चीन में होने वाली है। ऐसे में, वियतनाम-भारत के रिश्तों से चीन को परेशानी हो सकती है।
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मोदी के इस दौरे पर क्यों है चीन की नजर…
– साउथ चाइना सी को लेकर वियतनाम और चीन के बीच तनाव चल रहा है। माना जा रहा है कि अमेरिका जापान और भारत के साथ मिलकर इस मुद्दे पर चीन को घेरना चाहता है। इसलिए चीन भी मोदी के दौरे पर नजर रखे हुए है।
– वियतनाम के बाद मोदी चीन के हांग्जो के लिए रवाना होंगे। वहां उन्हें जी-20 समिट में हिस्सा लेना है। चीन में 4-5 सितंबर को यह समिट होनी है। 5 सितंबर को मोदी वापस देश लौटेंगे।
वियतनाम दौरे को लेकर मोदी ने कहा
– पीएम ने कहा- “हम वियतनाम के साथ बेहतर इकोनॉमिक रिलेशनशिप चाहते हैं, ताकि दोनों देशों को फायदा हो सके।”
– “मैं आज वियतनाम के हनोई जाऊंगा। यह बहुत ही अहम विजिट है। इससे भारत और वियतनाम के बीच रिश्ते बेहतर होंगे।”
वियतनाम के साथ क्या करार कर सकता है भारत ?
– भारत वियतनाम को ब्रम्होस मिसाइल की तकनीक बेच सकता है। लंबे वक्त से इस पर करार की कोशिश जारी है।
– दोनो देशों के बीच इकोनॉमी के अलावा स्पेस सेक्टर और हाइड्रोकार्बन ब्लॉक में इन्वेस्टमेंट जैसे मुद्दों पर बातचीत आगे बढ़ सकती है।
– बता दें कि अक्टूबर 2014 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने वियतनाम को 10 करोड़ डॉलर की मदद देने का भरोसा दिलाया था।
– क्रूड ऑयल प्रोजेक्ट को लेकर कई करार हो सकते हैं। बता दें कि यहां ओएनजीसी लंबे समय से काम कर रही है।