वित्त मंत्री पी चिदंबरम आगामी लोकसभा चुनाव से पहले आज अंतरिम बजट पेश करेंगे. माना जा रहा है कि बजट में वह कुछ रियायतों का ऐलान कर सकते हैं, हालांकि, इस दौरान उन्हें राजकोषीय घाटे को सीमित दायरे में रखने के लिए भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है.वित्त मंत्री अंतरिम बजट के साथ ही जुलाई 2014 तक के खर्चों की इजाजत के लिए संसद में लेखानुदान भी पेश करेंगे. पारंपरिक तौर पर अंतरिम बजट में डायरेक्ट टैक्सेस में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं होता है और न ही कोई बड़ी नीतिगत घोषणा की जाती है. फिर भी इसमें आम आदमी और मदद की दरकार रखने वाले कुछ क्षेत्रों के लिये रियायतों की घोषणा की जा सकती है.

वित्त मंत्री ने इससे पहले संकेत दिया है कि वह अंतरिम बजट में अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये उत्पाद और सेवाकर की कुछ दरों में बदलाव कर सकते हैं, लेकिन वह राजनीतिक आम सहमति के अभाव में आर्थिक सुधारों से जुड़े प्रमुख बिल आगे नहीं बढ़ाएंगे.

उन्होंने कहा कि साल 2004 में तत्कालीन वित्त मंत्री जसवंत सिंह ने अंतरिम बजट पेश करते हुए 12 पेज का भाषण पढ़ा था. 2009 में उस समय वित्त मंत्री रहे प्रणव मुखर्जी ने 18 पेज का भाषण पढ़ा था. इसलिये मेरे पास चुनने के लिये 12 से 18 के बीच दो संख्या हैं. हम कानून में संशोधन को छोड़कर कोई भी प्रस्ताव रख सकते हैं. यह देखना रोचक होगा कि चिदंबरम सुपर-रिच कर को 2014-15 में भी जारी रखते हैं या नहीं. बहरहाल, संकेत तो यही हैं कि वह ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि इसके लिये कानून में संशोधन की जरूरत होगी. वित्त मंत्री ने पिछले बजट में सालाना एक करोड़ रुपये या इससे ज्यादा कमाई करने वालों पर 10 फीसदी आयकर अधिभार लगाया दिया था. देश में ऐसे 42,800 लोग हैं.

वित्त मंत्री अंतरिम बजट में यूपी सरकार की उपब्धियां भी गिना सकते हैं. इस दौरान वह यह भी बता सकते हैं कि सरकार चालू खाते के घाटे (कैड) और राजकोष घाटे को नियंत्रित रखने में किस तरह सफल हो सकी. वित्त वर्ष 2014-15 का पूर्ण बजट नई सरकार के सत्ता में संभालने के बाद जून अंत तक या फिर जुलाई में पेश किया जायेगा.